देश में एक बड़ी विडंबना चल रही है लोगों में या भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया व एलआईसी डूबने वाले हैं। अडानी समूह ने इन दोनों संस्थानों की कब्र खोद कर रख दी है इस मामले में कुछ दिनों पहले एलआईसी ने अपने एक पत्र में कहा कि जब से हिंडेनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह की कंपनियों के बारे में अपनी घातक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जनता और राजनीतिक दलों के बड़े हिस्से ने एलआईसी के निवेश के बारे में अपनी चिंता व्यक्त की है कि किस तरह यह मध्यम वर्ग की बचतों को जोखिम में डालेगा ।
एलआईसी के कार्यबल के जिम्मेदार श्रम संगठन होने के नाते, और जनता और पालिसी धारकों के हितों की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता के चलते हम इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करना चाहते हैं ।उन्होंने कहा कि हम सार्वजनिक क्षेत्र , जनसाधारण एवं अर्थव्यवस्था की कीमत पर किसी भी व्यापारिक समूह को राजनैतिक संरक्षण देने के खिलाफ है । हम चाहते हैं कि हिंडेनबर्ग रिपोर्ट द्वारा लगाए गए आरोपों की सरकार निष्पक्ष जांच कराएं और सत्य को सामने लाये ।
जहां तक अदानी ग्रुप की कंपनियों के प्रति एलआईसी की समीपता एवं लाखों भारतीयों की गाढ़ी कमाई पर इसके संभावित प्रभावों के संबंध में हम कहना चाहते हैं कि एलआईसी दीर्घकालिक निवेशक है और पॉलिसी धारकों के दीर्घकालीन हितों को ध्यान में रखकर ही निवेश संबंधी निर्णय लिए जाते हैं । चूंकि , एलआईसी संसद के अधिनियम द्वारा निर्मित एक वैधानिक निकाय है इसके निवेश संबंधी समस्त निर्णय संसदीय जांच एवं नियामकीय परीक्षण के अधीन हैं ।
इसके अतिरिक्त एलआईसी की अपनी निवेश समिति है । निवेश संबंधी समस्त निर्णय इस समिति द्वारा सघन परीक्षण के उपरांत लिए जाते हैं ।निवेश नीति के अनुसार 80% निवेश सुरक्षित प्रपत्रों, जैसे सरकारी प्रतिभूतियों एवं बंधपत्रों में किया जाता है, इक्विटी में मुश्किल से 20% निवेश ही किया जाता है । इस प्रकार एलआईसी में पॉलिसी धारकों द्वारा किया गया निवेश पूर्णतया सुरक्षित है । अडानी समूह में किए गए निवेश एवं एलआईसी के संभावित नुकसान के संबंध में हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह नुकसान काल्पनिक है वास्तविक नहीं । एलआईसी ने अडाणी समूह में स्वयं द्वारा धारित कोई शेयर बाजार में नहीं बेचे हैं जिससे इसे नुकसान होता ।
इससे पूर्व एलआईसी पहले ही प्रेस स्टेटमेंट दिनांक 30 जनवरी 2023 के द्वारा स्पष्ट कर चुकी है कि अडाणी समूह की कंपनियों में 36,474.78 करोड़ रूपये के कुल निवेश का वर्तमान बाजार मूल्य 56,142 करोड़ रुपए है । इस प्रकार अदानी समूह में अपने निवेश पर एलआईसी 20000 करोड रुपए का संभावित लाभ अर्जित कर चुकी है । हालांकि यह लाभ भी वर्णित किये जा रहे अवास्तविक नुकसान की भांति ही काल्पनिक है ।
एलआईसी प्रतिवर्ष 4.5 से 5 लाख करोड रुपए का निवेश योग्य सरप्लस उत्पन्न करती है । इस राशि का एक हिस्सा पॉलिसी धारकों को रिटर्न देने के उद्देश्य से ब्लूचिप कंपनियों में सावधानी पूर्वक निवेश किया जाता है । इसे ऐसे ही नहीं रख सकते हैं । अडानी समूह में कुल निवेश एल आई सी के कुल इक्विटी निवेश का 7% ही है । उल्लेखनीय है कि अडानी समूह की कंपनियों की कुल बाजार पूंजी का 3.91% ही एलआईसी के पास है, जबकि टाटा और रिलायंस समूह की कंपनियों में एलआईसी का स्वामित्व 3.98 और 6.45 प्रतिशत है । यह भी उल्लेखनीय है कि बीमा नियामक आईआरडीए के दिशा निर्देशों के अनुसार एलआईसी द्वारा धारित अडानी समूह की सभी ऋण प्रतिभूतियों की क्रेडिट रेटिंग A A या उससे अधिक थी ।
एलआईसी इससे पूर्व भी सार्वजनिक जांच के अंतर्गत आ चुकी है विशेषकर ओएनजीसी एवं आईडीबीआई बैंक के शेयर खरीदने के मामले में । किंतु एलआईसी ने ओएनजीसी के शेयरों में स्पष्ट लाभ अर्जित किया एवं आईडीबीआई बैंक को भी एक लाभदायक संस्था के रूप में परिवर्तित कर दिया । एलआईसी एवं अन्य निवेशकों, यथा बैंक , में अंतर है । एलआईसी दीर्घकालिक निवेशक है जबकि बैंक नहीं हैं ।
एलआईसी का सॉल्वेंसी मार्जिन भी निर्धारित अनुपात से अधिक है । एलआईसी की खूबसूरती यह है कि इसके सभी दायित्व संपत्तियों की बुक वैल्यू से रक्षित हैं न कि मार्केट वैल्यू से । अतः इसमें लोगों का धन पूर्णतया सुरक्षित है । लोगों की गाढ़ी बचतों में से संसाधन जुटाने , उनको आकर्षक रिटर्न देने तथा उनके धन की पूरी सुरक्षा के साथ साथ राष्ट्र की प्रगति सूनिश्चित करने का एलआईसी का 6 दशकों से अधिक का बेदाग इतिहास है ।
हमारे संज्ञान में आया है कि कथित अनियमितताओं पर जनता के आक्रोश को आवाज देने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने एलआईसी कार्यालयों के समक्ष देशव्यापी प्रदर्शन करने की योजना बनाई है । हम समझते हैं कि एलआईसी कार्यालयों के समक्ष विरोध प्रदर्शन देश के सर्वोत्कृष्ट सार्वजनिक संस्थान की छवि को क्षतिग्रस्त करेगा । हम आपसे अनुरोध करते हैं कि उपरोक्त तथ्यों के आलोक में कृपया अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें ।
फिलहाल अभी है स्पष्ट हो गया है कि एलआईसी और एसबीआई को कोई खतरा नहीं है कुछ दिनों में एसबीआई भी अपना पक्ष जनता के सामने रखेगा सरकार को चाहिए कि उसे जन-जन तक पहुंचाएं ताकि देश को स्थायित्व प्रदान करने की दिशा में कोई खतरा न महसूस हो सके।