इंटरनेट की दुनिया पर हिंदी का जो स्वरूप आज देखने को मिल रहा है इसे यहां तक पहुंचने में लंबी दूरी तय करनी पड़ी है इंटरनेट की मूल अवधारणा अंग्रेजी में थी, वेबसाइट अंग्रेजी में ही हुआ करती थी इसे ऐसे भी कह सकते हैं कि इंटरनेट पूरी तरह से रोमन लिपि पर निर्भर था हिंदी की अपनी लिपि है देवनागरी हिंदी में कुछ भी लिखने के लिए देवनागरी को अपनाने की आवश्यकता थी इसके लिए बड़ा बदलाव अवश्य था हालांकि हिंदी को चाहने वाले लोगों ने रोमन लिपि में ही हिंदी को लिखने की शुरुआत कर दी थी रोमन में हिंदी लिखने से जानकारियों का आदान-प्रदान तो होने लगा था लेकिन भाव अभी भी नहीं आ रहा था फिर कुछ लोगों ने देवनागरी लिपि में लिखी सामग्रियों को इमेज की तरह लगाकर हिंदी को प्रसारित करने का काम प्रारंभ किया इस संघर्ष के बीच टेक्नोलॉजी से जुड़े हिंदी प्रेमियों ने प्रयास जारी रखा और अंतर देवनागरी में लिखना संभव हो पाया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इंटरनेट पर प्रयोग के मामले में अन्य भारतीय भाषाएं तेजी से 2011 में जो हिंदी पीछे चल रही थी उसने अंग्रेजी को पछाड़ दिया है।
विश्व की तीसरी सबसे अधिक और भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली हिंदी में डिटेल युग में स्वयं को और दृढ़ता से स्थापित किया है आज हिंदी को आगे ले जाने का जिम्मा उन कंधों पर नहीं है जिन्होंने हिंदी विकास के नाम पर अपने अलग टापू बना लिए थे आज हिंदी टेक्नोलॉजी से सुसज्जित युवा हाथों में है टेक्नोलॉजी ने हिंदी को जितना सुलभ और ग्रहए बनाया है वह उल्लेखनीय है बड़े पैमाने पर युवा इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट दे रहे हैं कंटेंट पर हिंदी का प्रयोग करने वालों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है यही हाल इंटरनेट का भी है फेसबुक और ट्विटर जैसे बड़े इंटरनेट प्लेटफार्म मीडिया प्लेटफार्म पर हिंदी का प्रसार किसी से छिपा नहीं है यूनिकोड ने इसे नई ऊंचाइयां दी हैं बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी अपने विज्ञापनों में हिंदी का प्रयोग कर रही हैं क्योंकि उन्हें इस बात का अनुभव हो चुका है कि बिना हिंदी के उनके लिए एक बहुत बड़े बाजार में उपस्थिति को मजबूत करना संभव नहीं है और नतीजा यह निकला कि हिंदी की लोकप्रियता और बाजार में इसकी आवश्यकता को देखते हुए अमेज़न,ओलेक्स समेत कई बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफार्म में एक हिंदी का हिंदी वर्जन में लॉन्च किया है वेदांत जैसे तमाम ऐप हिंदी में कंटेंट उपलब्ध करा रहे हैं।
वैसे आज जवाब हिंदी की स्थिति की बात करते हो तो एक दुविधापूर्ण स्थित सामने आती है हम देखते हैं कि हिंदी को राजभाषा के रूप में वह स्थिति प्राप्त नहीं है जिसकी वह अधिकारी है हिंदी में पढ़ने वाला रोजगार के प्रमुख क्षेत्र जैसे हीइंजीनियर,चिकित्सा सिविल सर्विसेज चार्टर्ड अकाउंटेंसी से वंचित है हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्राथमिक शिक्षा की भाषा के रूप में प्रयोग को सरकार की तरफ से स्वीकृति व अनुमोदन होने के बावजूद ऐसा अभी तक धरातल पर नहीं हो पाया है ऐसे में एक सशक्त और व्यापक राष्ट्रीय अभियान की आवश्यकता प्रतीत होती है जिसे लोगों ने कोशिश के रूप में करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार के सहयोग से कुछ जगहों पर हिंदी को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन अधिकारी हिंदी को स्थापित करने से दूर भाग रहे हैं जो गलत है उन्हें उसका सहयोग करना चाहिए नहीं तो हिंदी आम बोलचाल की भाषा ही नहीं बल्कि कार्यालयों से भी गायब हो जाएगी।
देखा जाए तो नाग्री की लिपि भारत के प्राचीन लिपियों में से एक है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 मैं भारत संघ की राजभाषा के रूप में नागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को मान्यता दी गई संविधान की आठवीं अनुसूची में वर्णित 22 भाषाओं में से 10 भाषाओं की लिपि नागरी ही है। आधुनिक समाज में बच्चों को रोमन लिपी का अभ्यास कराया जाता है बड़े होने पर यह अभ्यास और बढ़ता जाता है आज भारत में हिंदी को लेकर कई जगह रोमन में लिखा जाने लगा है यह नागरी लिपि के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है नागरी लिपि राष्ट्रीय एकता की शक्ति बन सकती है यदि उसे कोर्ट से दूर किया जाए।