एनएसजी में भारत की सदस्यता पर हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के विरोध के बावजूद अमेरिका का भारत को समर्थन देना वाकई हमारी सरकार की बड़ी कामयाबी है। बड़ी कामयाबी इसलिए क्योंकि अमेरिका जैसे देश के सामने हमने विश्वसनीयता बढ़ाई, ये अपने में काफी महत्वपूर्ण है। मि. ओबामा का हम धन्यवाद देते हैं कि उन्होंने कहा कि भारत को तकनीक की जरूरत है और हम एनएसजी में उसका समर्थन करेंगे और यही नहीं उन्होंने तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था ऑस्ट्रेलिया समूह, एमटीसीआर और वासेनार समझौते में भी भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन किया। हमारे लिए यह अच्छी बात है कि स्विट्जरलैंड से पहले ही एनएसजी सदस्यता के मुद्दे पर समर्थन हासिल हो चुका है। ओबामा के समर्थन के बाद 34 देशों के Missile Technology Control Regime (MTCR) में भारत की एंट्री फाइनल हो गई है। MTCR में शामिल होने के बाद भारत हाई-टेक मिसाइल का दूसरे देशों से बिना किसी अड़चन के एक्सपोर्ट कर सकता है और अमेरिका से ड्रोन भी खरीद सकता है, यानि इससे भारत को अमेरिका से सैन्य ड्रोन और अन्य उच्च तकनीकी मिसाइलें हासिल करने में मदद मिलेगी।
एमटीसीआर समूह की अगली बैठक सितंबर में होनी है। पिछली बार नौसैनिकों के मुद्दे को देखते हुए इटली ने अड़ंगा लगा दिया है। चूंकि अब यह मुद्दा हल हो गया है, ऐसे में भारत समूह में शामिल हो जाएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी भी संभवत: चीन से भारत की एनएसजी सदस्यता पर भी चर्चा करेंगे। भारत में जापान के राजदूत केंजी हिरामत्सु ने भी कहा कि उनका देश एनएसजी मुद्दे पर भारत की पूरी मदद करेगा।
एक और बात कहना चाहता हूं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने साइबर सुरक्षा पर साथ काम करने की इच्छा जताई, हम उनके विचार का सम्मान करते हैं और दुनिया को बताना चाहते हैं कि सभी देश साइबर सुरक्षा के प्रति भी गंभीर हो जाएं, क्योंकि साइबर के बढ़ते प्रसार ने जिस तरह पूरी व्यवस्था को मुट्ठी में समेट लिया है, ऐसे में अगर साइबर सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं हुए तो हम इसकी जकड़ में ही उलझते चले जाएंगे, जिसका रास्ता सीधा अपराध और एकदूसरे से छल की ओर जाता है।