इसलिए राजनीति से बाहर हो गई कांग्रेस

कई बार कांग्रेस पार्टी ने ऐसे कदम उठाए, जिसका खामियाजा, उसे अब तक उठाना पड़ रहा है।सियासत के मैदान में विपक्षी ऐसी ही कमजोरियों को अपना हथियार बनाकर वार करती है।कांग्रेस की तो कई ऐसी कलह रही हैं, जिनका प्रभाव पूरे देश पर पड़ा।वहीं, ऐसी कलह कांग्रेस के विरोधियों के लिए हथियार साबित हुए।देश में इंदिरा गांधी द्वारा इमरजेंसी लगाने से लेकर राहुल गांधी के कैबिनेट नोट फाड़ने तक का सफर बहुत ही प्रभावशाली रहा है।

 बाबा साहेब आंबेडकर ने समेत संविधान निर्माताओं ने बड़ी बुद्धिमानी से संविधान को चित्रों के मढ़ा। ये सारे चित्र भारत की हजारों साल की विरासत है लेकिन पंडित नेहरू ने पहला काम क्‍या किया, संविधान की इस पहली प्रति को डिब्‍बे में डाल दिया और बाद में जो संविधान छपा वो इन चित्रों के बिना था यानि इन्‍होंने उन चित्रों को काट दिया और 15 अगस्‍त के बाद का हिंदुस्‍तान शुरू कर दिया, अपने परिवार की जय-जयकार करने के लिए,इतने पर ही ये लोग नहीं रुके इन्‍होंने अनुच्‍छेद-356 का कई बार दुरुपयोग किया। कांग्रेस के कार्यकाल में 100 बार देश की सरकारों को तोड़ा फिर इमरजेंसी लेकर आए। एक तरीके से तो उन्‍होंने संविधान को डस्‍टबीन में डाल दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ कई बीजेपी नेता कांग्रेस को देश में इमरजेंसी लगाने के लिए भी घेरते रहे हैं।जब कभी कांग्रेस अभिव्‍यक्ति की आजादी की बात करती है, तो बीजेपी उसे इमरजेंसी की याद दिला देती है। देश में इमरजेंसी की घोषणा तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने की थी।देश में 21 महीनों (25 जून 1975 से 21 मार्च 1977) के लिए इमरजेंसी लगी थी।इस दौरान इमरजेंसी को विरोध करने वालों को जेल में डाल दिया गया था।

“कांग्रेस ने संविधान का क्‍या किया? ये संविधान की बातें करते हैं। विदित होगा कि टंडन जी (पुरुषोत्तम दास टंडन) को कांग्रेस पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया था।नेहरू जी को टंडन जी मंजूर नहीं थे… फिर नेहरू जी ने ड्रामा किया और बोले कि मैं कार्यसमिति में नहीं रहूंगा, पूछा क्‍यों, क्‍योंकि इनको… आखिरकार, कांग्रेस पार्टी को इलेक्‍टेड राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष को हटाना पड़ा, इस परिवार को खुश करने के लिए” बता दें कि टंडन जी को 1950 में नासिक में हुए कांग्रेस के सम्‍मेलन में पार्टी का राष्‍ट्रीय चुना गया था। वह 1899 में अपने छात्र जीवन से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।1906 में उन्होंने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में इलाहाबाद का प्रतिनिधित्व किया।

सीताराम केसरी भी कांग्रेस के अध्‍यक्ष रहे।उन्‍हें अध्‍यक्ष पद से हटाए जाने को लेकर भी पीएम मोदी ने कांग्रेस को घेरा. “सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्‍यक्ष थे… व्‍यवस्‍था के तहत बने हुए थे।रातोंरात उठाकर बाहर फेंक दिया और मेडम सोनिया गांधी जी कांग्रेस की अध्‍यक्ष बन गईं” बता दें कि सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष रहे।वह सिर्फ 13 साल की उम्र में राजनीति के मैदान में उतर गए थे।साल 1930 से 1942 के बीच वह कई बार स्‍वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने के कारण गिरफ्तार भी किये गए।

साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश सुनाया था कि दोषी पाए जाने पर विधायकों और सांसदों की सदस्‍यता रद्द कर दी जाएगी।सुप्रीम कोर्ट के इस अध्‍यादेश को निष्क्रिय करने के लिए यूपीए सरकार एक अध्‍यादेश लेकर आई थी। ऐसे में बीजेपी समेत विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस पर दोषी नेताओं को बचाने का आरोप लगाया।इसके बाद एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी ने इस अध्‍यादेश के विरोध में अपनी टेबल पर रखे कुछ कागजों को फाड़ दिया था। राहुल गांधी के ऐसे करने को ‘अध्‍यादेश फाड़ने’ के रूप में देखा गया था। प्रधानमंत्री मोदी समेत कई बीजेपी नेता राहुल गांधी और कांग्रेस को इस बात पर घेरते रहे हैं।

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