केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहुरकर की एक नई किताब आई है… Veer Savarkar:The Man Who Could Have Prevented Partition हिंदी में इस किताब के शीर्षक का अर्थ हुआ वीर सावरकर… वो आदमी जो भारत के संविधान भारत के बंटवारे को रोक सकता था ।इस किताब की कीमत कुल 445 रुपए है लेकिन हमने इस किताब को खरीदा और खरीदकर पढा और आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां इकट्ठा की हैं…!
भारत में कम्युनिस्टों के पितामह माने जाने वाले एम एन राय ने सावकर की प्रशंसा करते हुए लिखा है कि सावकर बरगद के पेड़ हैं और हम सब उनकी शाखाएं हैं । इसी किताब में लिखा है कि साल 1938 में लाहौर में हिंदू महासभा का एक सम्मेलन हुआ और इसी सम्मेलन में एक पत्रकार ने वीर सावरकर से एक सवाल पूछा… वो सवाल ये था कि आप (सावरकर) और जिन्ना देश को तोड़ना चाहते हैं तो इस पर वीर सावरकर ने जवाब दिया था कि मुझमें और जिन्ना में बहुत बड़ा फर्क है… जिन्ना चाहते हैं कि मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार मिले लेकिन मैं चाहता हूं कि हिंदू हो या फिर मुस्लिम… सबको समान अधिकार मिले ।
साल 1937 में जब वीर सावकर नजरबंद से बाहर निकले तो सुभाष चंद्र बोस ने सावरकर से कहा कि आप कांग्रेस में शामिल हो जाइए तब सावरकर ने जवाब दिया कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टीकरण के पथ पर इतनी आगे बढ चुकी है कि अब मैं कांग्रेस ज्वाइन नहीं कर सकता हूं ।साल 1939 में एक शिया संगठन ने लखनऊ में ये घोषणा की थी कि जो भी गाय की हत्या कर देगा उसको हिंदू मुस्लिम एकता का विरोधी माना जाएगा । तब वीर सावकर ने चिट्ठी लिखकर उस संगठन की तारीफ की थी ।
पहले सिंध और मुंबई प्रांत एक ही थे अलग नहीं थे… सिंध बॉम्बे स्टेट का ही हिस्सा था यानी कराची और मुंबई एक ही सूबे कि हिस्से हुआ करते थे लेकिन 1936 में मुसलमानों के दबाव में जब सिंध एक अलग प्रांत बनाया गया और उसमें मुस्लिम पॉपुलेशन को प्रभावशाली बनाने की साजिश रची गई तभी 1936 में ही सावरकर ने ये भांप लिया था कि ये हिस्सा देश से तोड़ने की साजिश चल रही है! साल 1941 में जब असम में मुसलमान बसने लगे तब सावरकर ने कहा था कि इससे असम के कल्चर को नुकसान पहुंचेगा और इससे खतरा पैदा होगा तब जवाहर लाल नेहरू ने मुस्लिम तुष्टीकरण करते हुए कहा कि जहां पर खाली जगह खाली होगी वहां कोई ना कोई तो आएगा ही… तब सावरकर ने पंडित नेहरू को फटकार लगाते हुए कहा था कि नेहरू का पर्यावरण का ज्ञान बहुत निम्न है कि जहां खालीपन होता है वहां जहरीली गैस भी आ सकती है ।
आजादी के बाद 75 सालों तक सावरकर को साइडलाइन किया गया लेकिन अब उनके अत्यंत लोकप्रिय होने का समय आ चुका है । जैसे जब गौतम बुद्ध का निर्वाण हुआ तो गौतम बुद्ध को कोई नहीं जानता था… 250 सालों तक बुद्ध को कोई नहीं जानता था । लेकिन जब अशोक ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया तब बौद्ध धर्म बहुत तेजी से फैलने लगा और आज बौद्ध धर्म दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है । ठीक इसी तरह आज नहीं कल हिंदुस्तान का हर हिंदू सावरकर के हिंदुत्व के विचारों पर आगे बढ़ेगा ऐसा हमारा विचार है!