द्वारका दर्शन के मायने

इस समय गुजरात का यह विषय बहुत चर्चा में है। सोशल मीडिया के माध्यम से  हम लोगों को मालूम पड़ गया वरना पता ही नहीं चलता। कैसे पलायन होता है और कैसे कब्जा होता है,  लैंड जिहाद क्या होता है वह समझने के लिए आप बस बेट द्वारिका टापू का अध्ययन करलें तो सब प्रक्रिया समझ आ जायेगी।

कुछ साल पहले तक यहाँ कि लगभग पूरी आबादी हिन्दू थी।यह ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र है जहाँ जाने का एकमात्र रास्ता पानी से होकर जाता है।

इसलिए बेट द्वारिका से बाहर जाने के लिए लोग नाव का प्रयोग करते हैं।।यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है।कहते हैं कि 5 हजार साल पहले यहाँ रुक्मिणी ने मूर्ति स्थापना करी थी।समुद्र से घिरा यह टापू बड़ा शांत रहता था।

यहां के लोगो का मुख्य पेशा मछली पकड़ना था।धीरे धीरे यहाँ बाहर से मछली पकड़ने वाले मुस्लिम आने लगे।दयालु हिन्दू आबादी ने इन्हें वहाँ रहकर मछली पकड़ने की अनुमति दे दी।धीरे धीरे मछली पकडने के पूरे कारोबार पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया।बाहर से फंडिंग के चलते इन्होंने बाजार में सस्ती मछली बेची, जिससे सब हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गये।अब हिन्दू आबादी ने रोजगार के लिए टापू से बाहर जाना शुरू किया लेकिन यहां एक और चमत्कार / प्रयोग हुआ ।

बेट द्वारिका से ओखा तक जाने के लिए नाव में 8 रुपये किराया लगता था।अब क्योंकि सब नावों पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था तो उन्होंने किराये का नया नियम बनाया।जो हिन्दू नाव से ओखा जायेगा, वह किराये के 100 रुपये देगा और मुस्लिम वही 8 रुपये देगा।अब कोई दिहाड़ी हिन्दू केवल आवाजाही के 200 रुपये देगा तो वह बचायेगा क्या ?इसलिए रोजगार के लिए हिन्दुओ ने वहाँ से पलायन शुरू कर दिया।

रोजगार के 2 मुख्य साधन मछली पकड़ने का काम और ट्रांसपोर्ट दोनो हिन्दुओ से छीन लिया गया।जैसे बाकी सब जगह राज मिस्त्री,कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री , ड्राइवर ,नाई व अन्य हाथ के काम 90% तक हिन्दुओ ने उनके हवाले कर दिये हैं। अब बेट द्वारिका में तो 5 हजार साल पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हिन्दू जाते थे तो इसमें वहां के जिहादियों ने नया तरीका निकाला।क्योंकि आवाजाही के साधनों पर उनका कब्जा हो चुका था तो उन्होंने आने वाले श्रद्धालुओं से केवल 20-30 मिनट की जल यात्रा के 4 हजार से 5 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिये।इतना महंगा किराया आम व्यक्ति कैसे चुका पायेगा इसलिए लोगो ने वहां जाना बंद कर दिया।

 अब जब वहाँ पूर्ण रूप से जिहादियों की पकड़ हो गई  तो उन्होंने जगह जगह मकान बनाने शुरू किये, देखते ही देखते प्राचीन मंदिर चारों तरफ से  मजारों से घेर दिया गया। वहाँ की बची खुची हिन्दू आबादी सरकार को अपनी बात कहते कहते हार चुकी थी, फिर कुछ हिन्दू समाजसेवियों ने इसका संज्ञान लिया और सरकार को चेताया।सरकार ने ओखा से बेटद्वारिका तक सिग्नेचर ब्रिज बनाने का काम शुरू करवाया। बाकी विषयो की जांच शुरू हुई तो जांच एजेंसी चौंक गई।

गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका स्थित बेट द्वारिका के दो टापू पर अपना दावा ठोका है।वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन में दावा किया है कि बेट द्वारका टापू पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है। 

गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।

 बेद द्वारका में करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं। प्राचीन कहानियां बताती हैं कि भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए मीरा यहीं पर उनकी मूर्ति में समा गई थी। बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7000 परिवार रहते हैं, इनमें से करीब 6000 परिवार मुस्लिम हैं।यह द्वारका के तट पर एक छोटा सा द्वीप है और ओखा से कुछ ही दूरी पर स्थित है।

वक्फ बोर्ड इसी के आधार पर इन दो टापू पर अपना दावा जताता है।

यहां अभी इस साजिश का शुरुआती चरण ही है कि इसका खुलासा हो गया।सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस चरण में कुछ लोग, ऐसी जमीनों पर कब्जा करके अवैध निर्माण बना रहे थे, जो रणनीतिक रूप से, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता था।

अब जाकर सब अवैध कब्जे व मजारें तोड़ी जा रही हैं।

अब सी लिंक का उद्घाटन होने वाला है, मुसलमानों के नौका/छोटे पानी के जहाज से यात्रा करवाने का धंधा भी चौपट होने जा रहा है। बेद द्वारिका में आने वाला कोई भी मुसलमान वहाँ का स्थानीय नहीं है, सब बाहर के हैं।फिर भी उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही वर्षों में वहां के हिन्दुओ से सब कुछ छीन लिया और भारत के गुजरात जैसे एक राज्य का टापू सीरिया बन गया।

Leave a Reply