बढ़ रही है चीतो की संख्या

वर्ष 1947 में देश में केवल तीन चीते बचे थे, जिनका शिकार कर लिया गया था।उसके बाद यह दुर्भाग्य रहा कि इन चीतो के साथ भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी खत्म हो गई।  वर्ष 1992 में हमने चीतों को देश से विलुप्त घोषित कर दिया लेकिन दशको  तक उनके पूर्वनवास के सार्थक प्रयास नहीं किए गए। आजादी के अमृत काल में यह अवसर मिला है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सार्थक किया है पीएम ने चीते देने के लिए नामबिया  सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि यह आगे एक नई चेतना को जन्म देगी। आप इसे चीता युग की वापसी होगी और अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलेगा।चीतो की बात करें तो लंबी प्रतीक्षा के बाद देश में चीतो की वापसी हुई है। मध्य प्रदेश के कोन राष्ट्रीय उद्यान में  आप चीते देख सकेंगे। 

इस बारे में कुछ रोचक तत्व है जो हमें जान लेना चाहिए चीता 3 सेकंड में ही 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ सकता है जो कि अधिकांश कारों से भी तेज है लेकिन अधिकतम गति अधिक समय तक बरकरार नहीं रख सकता । इस जंगली पशु की गति के लिए तो जाना ही जाता है लेकिन स्टैमिना के मामले में यह पीछे है चीता एक फर्राटा धावक है मैराथन धावक नहीं चूंकि यह अपनी गति अधिक समय तक काम नहीं रख पाता इसे अपना शिकार 30 सेकंड में या कम समय में ही पकड़ता होता है।यदि चीता कम समय में शिकार नहीं पकड़ पाता है तो वह प्रयास छोड़ देता है ।इसी कारण शिकार करने में इसकी सफलता का प्रतिशत अधिकतम 50% ही है शिकार पकड़ने के बाद भी चिता बहुत थक जाता है और उसे कुछ समय के लिए आराम करना पड़ता है यही कारण है कि प्राय तेंदुआ भेड़िया और जंगली कुत्ते इसका शिकार कर ले जाते हैं। गिद्ध भी चीते को भगा देते हैं क्योंकि इनके पास अन्य बिग कैट की तरह अधिक ताकत नहीं होती।

इस पशु के शरीर की बनावट गति के हिसाब से है बड़े फेफड़े और नाखूनों के कारण इसे अधिक ऑक्सीजन मिलती है जबकि बड़े आकार का दिल शरीर में अधिक मात्रा में रक्त संचार करता है। चीते का शरीर लचीला होता है इसकी रीड की हड्डी सिकुड़ती और फैलती है। छोटा सर हवा में प्रतिरोध काम करने करता है और लंबे वह पतले पर बड़े कदम भरने में सहायक होते हैं।अन्य खासियत की बात करें।तो चीता कन्वर्सेशन फट के अनुसार बिल्ली परिवार के अन्य पशुओं की तुलना में चीते के पंजे कठोर और काम गोल होते हैं उससे उन्हें गत हासिल करने में मदद मिलती है। इसकी लंबी मूछ नाव के पटवार की तरह काम करती है ।इसकी मदद से यह रफ्तार में भी तेजी से मुड़ सकता है ।शरीर पर काले निशान इस तेज धूप से बचाने में मदद करतेहैं । चीता सुबह और दोपहर बाद शिकार करते हैं वह अधिकांश समय सोता है, चीता जंगली पशुओं का शिकार करता है ।पालतू पशुओं के शिकार से वह बचता है दो से 5 दिन में एक बार शिकार करता है और तीन-चार दिन में एक बार पानी पीता है।मादा चीता एकांत जीवन बिताना पसंद करते हैं एक ही मां की संतान नर चीते  साथ-साथ रहते और शिकार करते हैं चीता दहाड़ता नहीं गरजता है इसकी उम्र 10 से 12 साल होती है।

नामिबिया से ले आए गए चीतो पर सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। 8000 किमी से अधिक यात्रा में सीटों को विशेष मन में लकड़ी से बने बॉक्स के स्टेट देकर रखा गया था, जब उन्हें लाया गया था। विशेष विमान का संचालन यूरोपीय देश मालवीय के तेरा एरिया एयरलाइन में किया सीटों को यात्रा में भोजन नहीं दिया गया ।दो नर चीते एक ही मां की संतान है एक मादा चीता कुपोषित हो गई थी जिसके स्वास्थ्य की देखभाल निमिया के एक किसान ने किया। दो भाग में दो-दो चीते रहेंगे जबकि शेष चार में एक-एक चीते को रखा जाएगा। एक माह तक रहने के बाद चीतो को वातावरण के अनुकूल करने के लिए चार माह का समय दिया जाएगा ।इसके पश्चात उन्हें जंगल पर छोड़ा जाएगा । आठ में पांच मादा, तीन नर चीते हैं मादा चीतों की  उम्र  साढे चार से साढे पांच वर्ष के बीच में है।

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