बिहार में नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद विपक्षी एकता फिर मजबूत होने लगी तेजस्वी यादव चाहते हैं कि जल्दी से नितीश कुमार पीएम की दौड़ में शामिल हो और सीएम की कुर्सी उनके हाथ आए इसलिए वह ज्यादा प्रयासरत है कि विपक्षी एकता हो और प्रधानमंत्री की कुर्सी के आसपास कहीं पहुंचे नीतीश कुमार।
नीतीश कुमार की बात करें तो नीतीश कुमार ने कई बार पाला बदला ,वह सत्ता के लिए कुछ भी कर सकते हैं।यही बात विपक्षी नेताओं को हजम नहीं हो रही है जो पार्टियां जुगाड़ में बैठी हैं और एकजुट होना चाहती हैं उनके मन में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि नीतीश कुमार फिर कहीं सत्ता के लिए भाजपा से मिलने ना लगे।यह तब तक संभव है जब वह राजद में जदयू का विलय नहीं कर लेते क्योंकि जब तक जदयू स्वतंत्र रहेगा नीतीश कुमार इसी तरह मुख्यमंत्री बनने के लिए अपना पाला बदलते रहेंगे व सुशासन बाबू नहीं अब मौकापरस्त बाबू वाली छवि में है।
वैसे जहां तक विपक्षी दलों की बात है तो किसी मजबूरी में और विशेष रूप से नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने की चाह में कांग्रेस नीतीश के पीछे खड़ी हो जाती है तो भी इस बात की गारंटी नहीं है कि ममता बनर्जी ,के चंद्रशेखर राव ,शरद पवार, नीतीश कुमार को पीएम बनाने के लिए एकजुट हो जाएंगे यदि यह नेता भी किसी व्यवस्था बस नीतीश को समर्थन देने के लिए तैयार हो जाएं तो भला अरविंद केजरीवाल ऐसा क्यों करेंगे ।पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को मोदी का सबसे प्रबल चुनौती वाले नेता के दौर में पेश कर रही है अब तो मनीष सिसोदिया ने भी साफ कर दिया है कि 2024 के आम चुनाव नरेंद्र मोदी बनाम केजरीवाल होगा ।
भारत की राजनीति में कुछ भी हो सकता है लेकिन यह याद रहे आम आदमी पार्टी का एक भी सदस्य लोकसभा में नहीं है वह अपनी संगरूर सीट से भगवत मान के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी उसे भी नहीं बचा पाए इसलिए लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के केजरीवाल को प्रधानमंत्री बनने के लिए आगे करेंगे। यह समय बताएगा लेकिन जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने अपना दायरा बढ़ाया है उसे देखकर यही लगता है कि राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थायित्व को प्राप्त करने के लिए कुछ भी कर सकती है उसके पास एक बड़ी टीम है जो मीडिया संचालन के साथ-सथ सोशल मीडिया व अन्य प्लेटफार्म पर काफी तेज है या यूं कह सकते हैं कि अन्य पार्टियों की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है।
फिरहाल आज जो हालात है उससे भाजपा को कोई खतरा नहीं है क्योंकि कोई भी विपक्षी दल आज ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह मोदी के सामने खड़ा होकर के अपनी ललकार को जीवित रख सके ।समय बदलता है लोग बदलते हैं और हालात ऐसे हो जाते हैं कि लोगों को बदलना पड़ता है लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि विपक्ष के नाम पर आज सारे एकजुट होने के बाद भी मोदी का सामना करने की स्थिति में नहीं है दक्षिण भारत में जिस तरह से पार्टी बढ़ रही है उसे देखकर लगता है कि कांग्रेस की जगह भाजपा ले लेगी ठीक उसी तरह से जिस तरह से आजादी के समय में कांग्रेस ने इस देश में लिया था और अगर ऐसा हुआ तो भारत विश्व गुरु बनकर ही रहेगा।