क्या पिछले चार बर्षो में नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां कुछ नही रही? अब इस पर मूल्याकन करने की जरूरत है। कांग्रेस पार्टी सहित सम्पूर्ण विपक्ष, वामपंथी बुद्धिजीवी, पत्रकारों व सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित एनडीए के घटक दलों व भाजपा के कुछ नेताओं तक का यह आरोप है कि मोदी सरकार पिछले चार बर्षों में देश व जनता के लिए कुछ खास नहीं किया। बातें, भाषण व दावे बहुत किए गए मगर धरातल पर कुछ खास नहीं दिखा।खास बात यह है कि यह सब आरोप मोदी सरकार से पहले दस साल तक देश संभाल रही कांग्रेस पार्टी के है।जबकि देश को यूपीए के शासनकाल में जिस लूट व अराजकता का सामना करना पड़ा था वह अभूतपूर्व था।जिसे पूरा देश जानता है।दूसरी तरफ अभी तक किसी तरह के घोटाले का आरोप मोदी सरकार पर नही है।
देखा जाय तो अन्ना आंदोलन के समय जिस प्रकार जनता यूपीए सरकार के विरुद्ध सड़कों पर आयी और उसके आक्रोश को भुना मोदी सत्ता में आए यह पूरा देश जनता है। यह मोदी सरकार की जनकेन्द्रित नीतियां व कार्य ही रहे हैं कि लाख कोशिशों, षडयंत्रो, आंदोलनों, अफवाहों व नकारात्मक प्रचार के बाद भी देश की जनता भड़कने को तैयार नहीं और एक के बाद एक विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकार बनाती जा रही है। विभाजन व विध्वंस की राजनीति की नाव पर सवार विपक्ष की छवि और विश्वनियता बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है। दुःखद है कि आज देश का विपक्ष भ्रमित व बिखरा हुआ तो है ही साथ कि उसके पास देश के विकास की कोई वैकल्पिक रचनात्मक कार्ययोजना ही नहीं है।वह लगातार गलती कर रहा है और मुंह की खा रहा है। जिससे आने वाले समय में उसका वापस लौटना और भी कठिन हो जायेगा।
पूरा विपक्ष देश मे जातीय विभाजन पर उतारू है,अल्पसंख्यक समुदाय को भड़का रहा है, लिंगायतों को अलग दहरम का दर्जा देने की बातकर हिंदुओ को बांट रहा है। कभी दलित अत्याचार, कभी मुस्लिम बच्ची से बलात्कार तो कभी हिंदू आतंकवाद के झूठे आरोप लगा समाज की भड़काने की कोशिशों में लगा है तो कभी एटीएम से नोटो की अप्रत्याशित निकासी करवा जनता को नकदी की कमी से जूझने व नोटबन्दी के दिनों की वापसी का अहसास करा रहा है।सोशल मीडिया पर झूठी व नकारात्मक खबरों का जाल बिछाकर जनता को भ्रमित कर रहा है। उसने देश की संसद को उसने पंगू कर दिया और कोई कामकाज नहीं होने दिया।यही काम उसने गुजरात में किया था जिसमें मुंह की खानी पडी थी।इस विपक्ष ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर ही महाभियोग लगा न्यायपालिका को बदनाम कर व दबाब में लेकर उसकी विश्वसनीयता ही समाप्त करने की कोशिश तक कर बैठा।जिसे उपराष्टपति ने जब दरकिनार कर दिया और संविधान पीठ को भेज दिया तो वापस लेने का मन बना लिया और अपने मुंहपर कालिख पोतवा ली।अब यह मामला उसके लिये गले का रोडा बन गया है।
सच तो यह है कि विपक्ष नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व व लोकप्रियता व मोदी सरकार के कार्यो व उपलब्धियो के आगे बौना हो गया है और मोदी – शाह की आक्रामकता के आगे पस्त है। चूंकि सरकार ने हर स्तर पर सुशासन का अभियान छेड़ रखा है यानी हर किसी से पंगा ले रखा है ऐसे में पार्टी व सरकार का पक्ष रखने वालों की कमी है। प्रश्न उसके लिए अपने अस्तित्व बचाने का है और इस मनोवैज्ञानिक भय से घिरा होने के कारण वह संज्ञाशून्य व अराजक हो गया है। उसकी पार्टी के आत्मविश्वास ही नही अस्तित्व पर ही संकट खड़ा हो गया है, अब एैसी संभावना है कि सन 2019 के लोकसभा चुनावों में राहुल व कांग्रेस के हाथों से विपक्ष की कमान निकल जायेगी व अन्य दलों के बीच विपक्ष का नेतृत्व संभालने की होड़ मच जाएगी। इसका प्रमुख कारण यह है कि जिस तरह से संघ की लोकप्रियता व प्रभाव देश में बढी है उससे अब दलों में खलबली मच गयी है और वह किसी तरह से भाजपा के लिये जो खराब बने वह दांव चल रहें है।
देश को बताने का प्रयास कपितय नेताओं द्वारा किया जा रहा है कि देश हिंदू आधिपत्य व अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति असहिष्णुता का शिकार है, सभी अल्पसंख्यक डरे हुए हैं, दलितों पर अत्याचार बढ़ गए है और महिलाओं पर यौेन आक्रमण व बलात्कार की मात्रा पिछली सरकार की तुलना में ज्यादा हो गया है। उनका यह भी दावा है कि देश मे किसान बहुत परेशान है, बेरोजगारी की वजह से युवा आक्रोशित है और समाज मे सभी जातियों में संघर्ष बढ़ा है। भारत के पड़ोसी देशों से संबंध खराब हुए हैं ,सीमा पर पाकिस्तान व चीन के साथ तनातनी बढ़ रही है। इसके साथ ही देश की अर्थव्यवस्था #नोटबन्दी व #जीएसटी के बाद गड्ढे में चली गयी है और छोटे व्यापारियों की हालत बहुत खराब है। बाजार में मांग ही नहीं है।फिर भी कही जीत नही रहे है। क्योंकि अगर सोशल मीडिया ही जीत का रास्ता तय करती तो केजरीवाल की सरकार केन्द्र में होती मोदी की नही । जमीन पर काम दिखता है तब विजय मिलती है #कांग्रेस केा यह बात अब समझ लेनी चाहिये।
We will not rest till goal is achieved…. Congress mukt BHARAT…..mera BHARAT.