सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर आरोप लगाया था कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने कांग्रेस पार्टी से लोन देने के नाम पर नेशनल हेराल्ड की दो हजार करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली। कांग्रेस ने पहले नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को 26 फरवरी, 2011 को 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। इसके बाद पांच लाख रुपये से यंग इंडिया कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के पास है।
इसके बाद के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडिया को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडिया को कांग्रेस का ऋण चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडिया को एसोसिएट जर्नल लिमिटेड के 99 प्रतिशत शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 90 करोड़ का ऋण भी माफ कर दिया। यानी यंग इंडिया को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया। आरोप है कि गांधी परिवार हेराल्ड की संपत्तियों का अवैध ढंग से उपयोग कर रहा है जिसमें दिल्ली का हेराल्ड हाउस और अन्य संपत्तियां शामिल हैं। वे इस आरोप को लेकर 2012 में कोर्ट गए। कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने के आदेश जारी किए थे। तब से इस आदेश की तामील लंबित थी।
सोनिया-राहुल की कंपनी यंग इंडिया ने दिल्ली में सात मंजिला हेराल्ड हाउस को किराये पर कैसे दिया? इसकी दो मंजिलें पासपोर्ट सेवा केंद्र को किराये पर दी गईं जिसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने किया था। यानि यंग इंडिया किराये के तौर पर भी बहुत पैसा कमा रही है।राहुल ने एसोसिएटेड जर्नल में शेयर होने की जानकारी 2009 में चुनाव आयोग को दिए हलफनामे में छुपाई और बाद में 2 लाख 62 हजार 411 शेयर प्रियंका गांधी को ट्रांसफर कर दिए। राहुल के पास अब भी 47 हजार 513 शेयर हैं।
20 फरवरी 2011 को बोर्ड के प्रस्ताव के बाद एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को शेयर हस्तांतरण के माध्यम से यंग इंडिया को कैसे ट्रांसफर किया गया जबकि यंग इंडिया कोई अखबार या जर्नल निकालने वाली कंपनी नहीं है।कांग्रेस द्वारा एसोसिएट जर्नल प्राइवेट लिमिटेड को बिना ब्याज 90 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज कैसे दिया गया जबकि यह गैर-कानूनी है क्योंकि कोई राजनीतिक पार्टी किसी भी व्यावसायिक काम के लिए कर्ज नहीं दे सकती।
दूसरी तरफ जब एसोसिएटेड जर्नल का ट्रांसफर हुआ तब इसके ज्यादातर शेयरहोल्डर मर चुके थे। ऐसे में उनके शेयर किसके पास गए और कहां हैं?कैसे एक व्यावसायिक कंपनी (यंग इंडिया) की मीटिंग सोनिया गांधी के सरकारी आवास 10 जनपथ पर हुई?इस मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, मोतीलाल वोरा और सुमन दुबे सहित 6 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। निचली अदालत ने 26 जून को सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर समन जारी किए थे। इसके बाद सोनिया और राहुल के वकील ने अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने में छूट और समन रद्द करने को लेकर याचिका दायर की थी, जिसे ८ दिसम्बर २०१५ को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी ठुकरा दिया और सभी अभियुक्तों को १९ दिसम्बर को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश किया।
अन्ततः १९ दिसम्बर को सोनिया और राहुल सहित सभी अभियुक्त (साम पित्रोदा को छोड़कर) न्यायालय में हाजिर हुए। न्यायालय ने उन्हें जमानत पर छोड़ते हुए पुनः २० फरवरी २०१५ को हाजिर होने को कहा है।गौरतलब हो कि नेशनल हेराल्ड नामक अंग्रेजी अख़बार की स्थापना जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में की थी. इस अख़बार का मालिकाना हक़ एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के पास था. यह अख़बार 2 अप्रैल 2008 में छपना बंद हो गया था. लेकिन नेशनल हेराल्ड अख़बार की कमर्शियल प्रॉपर्टी कई शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, भोपाल, लखनऊ, इंदौर और पंचकुला में है. अख़बार बंद होते ही अन्य तरह के बिज़नेस जैसे; ऑफिस, शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट या फिर बहुमंजिला इमारतें चल रहे हैं जिनसे हर महीने लाखों का किराया मिल रहा है.राहुल और सोनिया की कंपनी यंग इंडियन को जो अनवरत जारी है।
इस पूरे प्रकरण में एजेएल कम्पनी के 99ः शेयर सिर्फ 1ः लोगों को मिल गए जो कि पहले 761 शेयरहोल्डर लोगों के पास थे. इन 761 लोगों में फिरोज गाँधी, इंदिरा गाँधी , घनश्याम दास बिडला, मार्कंडेय काटजू के पिता कैलाश नाथ काटजू ,विजय लक्ष्मी पंडित, जैसे बड़े नाम शामिल थे ।इस प्रकार ऊपर दिए गए विवरण से स्पष्ट है कि राहुल गाँधी की यंग इंडियन कंपनी ने केवल 50 लाख रुपये का भुगतान करके एजेएल की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्ज़ा कर लिया है.अब यहाँ पर शक इस बात को लेकर भी उठ रहा हैं कि कांग्रेस ने ऐसी कंपनी को लोन क्यों दिया जिसके (एजेएल) पास खुद ही लगभग 2000 करोड़ की संपत्ति है.