बाबाओं को टैक्स के दायरे में लाना जरूरी

भारत सरकार को चाहिये कि जल्द ही एक कानून ऐसा बनाये जिससे बाबाओं को टैक्स दायरे के अंदर लाया जा सके। तमाम ऐसे आश्रम है जहां दुकाने चल रही है और देश के खिलाफ साजिश हो रही है जिसपर अभी तक कारवाई के नाम पर कुछ नही हुआ है। रामरहीम , रामपाल जैसे तमाम बाबा ऐसे है जो कि धर्म के नाम पर नही बल्कि धर्म से लोगों को विरक्त कर अपने बश में कर उनका सबकुछ ले रहें है।
यह देश धार्मिक देश है जहां हिन्दूओं को सुनियोजित तरीके से लूटा जा रहा है , उनसे दान लिया जा रहा है और उससे आश्रम के नाम पर महल बनाकर खडे किये जा रहें है । उस महल में कंटीन खोली जा रही है और लोगों को जा रहा है कुछ भी बिना पैसे के नही है और किसी भी तरह की आमदनी पर कोई टैक्स इस महल का मालिक नही देता।सरकार भी इसे संरक्षण देती है और तमाम सुविधायें इन्हें लोगों की सुविधा के लिये देती है जिसका यह व्यवसायिक उपयोग करते है।अपनी दुकानदारी चलाते है । कई तो ऐसे है जिन्होने पांच सितारा होटल की तरह अपने रिहाइश केा बना रखा है और कुछ ऐसे है जिन्होने बाहर की तरफ दुकान और अंदर की तरफ कमरा बनाकर लोगों को किराये पर दे दिया और हर महीने लाखों लूट रहें है।
सबसे खास बात यह है कि जो लोग शिष्य है उनसे दान के नाम पर लंबी राशि मांग ली जाती है और किसी प्रायोजन को बता दिया जाता है । इसके बाद भक्तों से ही सेवा के नाम पर काम करने को कहा जाता है और बिना पैसे खर्च किये उसे तैयार कर लिया जाता है । जब बनकर तैयार हो जाता है तो सहयोग राशि नाम का शब्द दिखाकर वसूली होती है जिसे आश्रम वाले ही करते है और वह भी बिना किसी पगार के। इसके बाद एक के बाद एक करके कई संस्थान हो जाते है और करोडों की कमाई होने लगती है फिर भी यह टैक्स के दायरे में नही आते है। कुछ आश्रमों के कई कालेज , कईप्रतिष्ठान है जो कि कमाई का जरिया बने हुए है। लेकिन सरकार मौन है।
अब बात करते है व्यवस्था की तो तमाम ऐसे बाबा है जो कि धार्मिक नही है और गुरू बनकर लोगों को अपने हिसाब से चलाते है उनके हिसाब से धार्मिक ग्रन्थ कूडा है और उसे समझने की जरूरत नही है कुछ ऐसे ब्लड बैक चलाते है और फ्री में खून लेकर अपने अस्पतालों को आमदनी प्रदान कर रहें है। इस कडी में रोहतक हरियाणा का बाबा मस्तनाथ , हरिद्वार का भूमा निकेतन व रामदेव का पतंजलि आदि है । इसके अलावा अंग दान और नेत्रदान का दिखावा कर पैसे वाले लोगों को लाभ पहुचाने का काम भी यह बाबा धर्म जागरण की आड में करते है। जबकि बाल योगेश्वर ने सभी सीमायें पार कर ली है। उनके अनुयायी शांत रहकर अपना काम रहें है।जो उनके लिये ऐसे पाश में बंधे है कि अगर आपने थोडा भी चू चां की तो मारने को तैयार हो जाते है।
कुछ बाबाओं ने और नरक कर रखा है । उन्होनें विदेशी युवती से शादी की और उसके धन का प्रयोग अपने ऐशोआराम में व अपने भक्त बनाने में किया है।जैसे बाल योगेश्वर ,कुमार स्वामी आदि । इसके अलावा कुछ एैसे है जो कि एैऐयाशी के लिये इस पेशे में आये अपना भी किया और पैसे वाले भक्तों केा भी कराया । जहां यह सब धर्म का अंग है जैसे नित्यानंद ,राम रहीम आदि । कुछ अब देश में जातिगत तनाव फैला रहें है जैसे रामपाल , मुरारी बापू , रवि शंकर आदि । सरकार को अब निर्धारित कर लेना चाहिये कि इन सभी के साथ क्या करना है इसमें कांग्रेसी बाबा और भाजपाई बाबा नही होना चाहिये। कुछसमय पहले एक चर्चित बाबा के खिलाफ एक महिला ने शिकायत की थी जिसमें हरिद्वार के किसी बाबा ने उनकी मदद  कुछ लोग हठयोगी के पास गये तो बात बनी , समझौता हुआ और लेदेकर मामला शांत हो गया । प्रशासन ने वहां के इस मामले में बडी भूमिका निभाई।
कई बाबा एैसे है जिन्होने सैकडों कमरे हरिद्वार में बना रखे है और किराया वसूल रहें है। इसके अलावा कंटीन खोलकर भी उगाही हो रही है। कुछ ने अपने प्रतिष्ठान बना रखे है कुछ ने गोशाला बनाकर दुग्ध उत्पादन का व्यवसाय खोल रखा है। हर चीज व्यवसायिक है लेकिन टैक्स नही देते है। ऐसे  लोगों केलिये सरकार को चाहिये एक कानून बनाये ताकि इनकी बाबाओं की आमदनी का लाभ सबको मिल सके।

Leave a Reply