अंग्रेजी साल का नया वर्ष है और हम कुछ नयी बाते् अपने भावी पीढी को दे सकते है। क्या भगवान राम या भगवान कृष्ण कभी इंग्लैंड के हाऊस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य रहे थे? नहीं ना? फिर ये क्या लॉर्ड रामा, लॉर्ड कृष्णा लगा रखा है? सीधे सीधे भगवान राम, भगवान कृष्ण कहियेगा। किसी की मृत्यू होने पर “RIP” मत कहिये। कहिये “ओम शांति”, “सद्गती मिले”, अथवा “मोक्ष प्राप्ति हो”। आत्मा कभी एक स्थान पर आराम या विश्राम नहीं करती। आत्मा का पुनर्जन्म होता है अथवा उसे मोक्ष मिल जाता है। अपने रामायण एवं महाभारत जैसे ग्रंथों को मायथॉलॉजी मत कहियेगा। ये हमारा गौरवशाली इतिहास हैं और राम एवं कृष्ण हमारे ऐतिहासिक देवपुरुष हैं, कोई मायथोलॉजिकल कलाकार नहीं। मूर्ति पूजा के बारे में कभी अपराधबोध न पालें, यह कहकर कि “अरे ये तो केवल प्रतीकात्मक है।
“सारे धर्मों में मूर्तिपूजा होती है, भले ही वह ऐसा न कहें। कुछ मुर्दों को पूजते हैं, कुछ काले पत्थरों को, कुछ लटके हुए प्रेषितों को। गणेशजी और हनुमानजी को “Elephant god” या “Monkey god” न कहें। वे केवल हाथियों तथा बंदरों के देवता नहीं है। सीधे सीधे श्री गणेशजी एवं श्री हनुमानजी कहें।हमारे मंदिरों को प्रार्थनागृह न कहें। मंदिर देवालय होते हैं, भगवान के निवासगृह। वह प्रार्थनागृह नहीं होते। मंदिर में केवल प्रार्थना नहीं होती।
अपने बच्चों के जन्मदिन पर दीप बुझाके अपशकुन न करें। अग्निदेव को न बुझायें, अपितु बच्चों को दीप की प्रार्थना सिखायें। *”तमसो मा ज्योतिर्गमय”* (“हे अग्नि देवता! मुझे अंधेरे से उजाले की ओर जाने का रास्ता बतायें”) ये सारे प्रतीक बच्चों के मस्तिष्क में गहरा असर करते हैं।कृपया “spirituality” और “materialistic” जैसे शब्दों का उपयोग करने से बचें। हिंदुओं के लिये सारा विश्व दिव्यत्व से भरा है। “spirituality” और “materialistic” जैसे शब्द अनेक वर्ष पहले युरोप से यहाँ आये, जिन्होंने चर्च और सत्ता में फर्क किया था, या विज्ञान और धर्म में।
इसके विपरीत भारतवर्ष में ऋषी मुनि हमारे पहले वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म का मूल विज्ञान में ही है। यंत्र, तंत्र, एवं मंत्र यह हमारे धर्म का ही हिस्सा है।”Sin” इस शब्द के स्थान पर “पाप” शब्द का प्रयोग करें। हम हिंदुओं में केवल धर्म (कर्तव्य, न्यायपरायणता, एवं प्राप्त अधिकार) और अधर्म (जब धर्मपालन न हो) है। पाप अधर्म का हिस्सा है। ध्यान के लिये ‘meditation’ एवं प्राणायाम के लिये ‘breathing exercise’ इन संज्ञाओं का प्रयोग न करें, यह बिलकुल विपरीत अर्थ ध्वनित करते हैं। क्या आप भगवान से डरते हैं? नहीं ना? क्यों? क्योंकि भगवान तो चराचर में विद्यमान हैं। इतना ही नहीं हम स्वयं भगवान का ही रूप हैं।
भगवान कोई हमसे पृथक नहीं जो हम उनसे डरें, तो फिर अपने आप को “God fearing” अर्थात् भगवान से डरने वाला मत कहिये।ध्यान रहे, विश्व में केवल उनका ही सम्मान होता है जो स्वयं का सम्मान करते हैं। उन्हें अपने ही धर्म के विषय में CNN जैसे अधर्मियों से न सीखना पड़े।।