यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हम 21 जून 2016 को दूसरी बार योग दिवस मना रहे हैं और भारत का अनुसरण करते हुए पूरी दुनिया भी इसे मनाने जा रही है। योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं बल्कि हमारे बौद्धिक और मानसिक शांति के लिए भी है। जब सितंबर 2014 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने से जुड़ा नजरिया संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश किया था, तब उम्मीद न थी कि इस अवसर के लिए दुनिया के कोने-कोने से इतना भारी उत्साह दर्शाया जाएगा। पिछले साल और अब एक-बार फिर लोगों का सहयोग और भागीदारी इस प्राचीन विधा को पोषित करने और बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को निभाता है और योग के ‘वसुधव कुटुंबकम’ की आदर्श अभिव्यक्ति होने की पुष्टि करता है। 21 जून को इसलिए योग दिवस मनाने का निर्णय लिया था, क्योंकि यह पूरे कैलेंडर वर्ष का सबसे लंबा दिन है। प्रकृति, सूर्य और उसका तेज इस दिन सबसे ज्यादा प्रभावी रहता है। यह भी बता दें कि बेंगलुरू में 2011 में पहली बार दुनिया के अग्रणी योग गुरुओं ने मिलकर इस दिन विश्व योग दिवस मनाने पर सहमति जताई थी।
हम अपने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले साल के उस यादगार दिन की पहचान बन चुकी तस्वीरों को याद कर रहे हैं, जब प्रशांत द्वीपसमूह से पोर्ट ऑफ स्पेन तक, व्लादिवोस्तोक से वैंकुवर तक और कोपनहेगन से केपटाउन तक हजारों लोग योगाभ्यास के जरिए शरीरों और मस्तिष्कों को एकीकृत करने के लिए जुटे थे। इस विधा की अनुगूंज को न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक ‘स्वाभाविक स्थान’ मिल गया, जहां से इस सफर की शुरुआत हो गई।
योग हमें स्वयं के एक नये आयाम तक पहुंचा देता है जबकि इसके जरिये हमें एहतियाती स्वास्थ्यचर्या और कुशलता के बारे में समग्र दृष्टिकोण मिलता है। हमें हमारा संतुलन बहाल करने में मदद करता है और हममें जरूरी स्पष्टता लेकर आता है। दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारी इस बात का सबूत है कि हमारी सरकार से केवल हिन्दुस्तान ही नहीं, पूरा विश्व सहमत है। और योग दिवस पर मैं एक ही बात कहना चाहता हूं कि यह अदभुत अवसर है, जो हमें भारत की प्राचीन परंपरा के अमूल्य उपहार का जश्न मनाने के लिए एकसाथ लेकर आता है।
योग हजारों साल से भारतीयों की जीवन-शैली का हिस्सा रहा है। ये भारत की धरोहर है। दुनिया के कई हिस्सों में इसका प्रचार-प्रसार हो चुका है, लेकिन यूएन के इस ऐलान के बाद से अब वह दिन दूर नहीं जब इसका फैलाव और तेजी से होगा। प्रस्ताव का 175 देशों ने समर्थन किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष सैम के. कुटेसा ने कहा था कि इतने देशों के इस प्रस्ताव को समर्थन देने से साफ है कि लोग योग के फायदों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।