नोटा और उसका मर्म कब समझोगे

किसी ने लिखा है कि नोटा दबाओ क्योंकि अपने आप को बचाना है अपने बच्चों को बचाना है, खुद बचेंगे तो देश भी बचा लेंगे.. पढ़ने के बाद जो विचार मन में आये तो लिख दिए..यदि हिन्दुओ में एकता होती तो यह समस्या ही नही होती, यदि हिन्दू जतियाँ में बंटे नही होते तो न कोई उच्च होता न कोई नीचे होता,, यदि ऐसा होता तो मजाल है किसी की जो हिन्दुओ तो कभी तोड़ पता…किन्तु ऐसा है नही,, नोटा नोटा चिल्लाने वाले मानते है कि उनका कोई नही, कोई उनके साथ नहीं फिर भी यह उनकी समझ मे नही आएगा कि बचोगे तो कुछ करोगे…प्रश्न उठता है किस्से बचोगे, भाजपा या कांग्रेस या कोई और ये सब तो राजनीतिक पार्टियां हैं, इनसे अनावश्यक भावनाओ की उम्मीद करोगे तो यही होगा जो हो रहा है…
किन्तु बचना किससे है, इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना हो कश्मीर में जाकर देखो, तुम्हारे घरों में तुम्हारी बहन बेटियों के वैश्यालय बना दिये गए, किसी भी राजनीतिक पार्टी ने क्या कर लिया..? पश्चिम बंगाल, असम में जाकर देखो, तुम्हारी जमीने खा गए, तुम्हारे अधिकार खा गए,, केरल में देखो,, थोड़ा पहले जाओगे तो पाकिस्तान बंगलादेश में देख लो, और पहले जाओगे तो अफगानिस्तान बर्मा में देख लो.. तब तो ये राजनीतीक पार्टियां भी नहीं थीं किन्तु तुम तब भी थे तुम तब भी नोटा दबा रहे थे…
तुम नोटा नोटा तो पैदा होते ही करते रहे हो,, तुमने अपने आप को तक नोटा दे दिया किसी राजनीतिक पार्टी की क्या हैसियत है .. तुमने तब नोटा दिया था जब तुम्हारे गुरुओ को तेल में तल दिया गया था, तुमने तब नोटा दिया था जब तुम्हारी रानियों को जौहर करने मजबूर किया गया था, तुमने तब भी नोटा दिया था जब तुम्हारे आराध्य के जन्मस्थान पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बना दी गयी थी, तुमने तो नोटा तब भी दबाया था जब महादेव के मंदिर में मजारें बनाई गई थी,, अरे तुम तो बार बार नोटा दबाते रहे थे और अपने ज्योतिर्लिंग को बार बार लुटते देखते रहे थे…
नोटा आज एक केलकुलेटर में दबाने की बात करके वास्तव में तुमने अपने आप को जैसा सार्वजनिक किया है वैसा पहले कभी नही किया,, तुम नोटावीर कोई आज से नही हो,, तुम तो पुश्तो से नोटावीर हो, खानदानी नोटावीर हो..फिर सोचता हूँ तुम तब कहाँ थे जब देश दो फाड़ कर दिया गया था, तब नोटा क्यों नही दबा था तुमसे, तुम तब कहाँ थे जब ट्रेनें भर भर कर तुम कटे फटे भेजे जा रहे थे, तुम तब कहाँ थे जब देश मे आपातकाल लगा था, तुम तब कहाँ थे जब वास्तव में यह कानून जिसपर तुम भविष्य की दुहाई दे रहे हो उसे बनाया गया था, त.ुम तब तमाशा देख रहे थे ना जब देश मे मण्डल कमीशन की आग लगी थी और तुम खुद पर पेट्रोल डॉलकर अग्निस्नान कर रहे थे..?मैं बताऊं तुम तब भी नोटा ही दबा रहे थे, तुम हर बार नोटा दबाते रहे हो और जब जब तुमने नोटा दबाया है तब तब तुम खुद टूटे हो, खंडित हुए हो…
तुम एक शरीर हो किन्तु तुम्हे आभास ही नही की तुम एक शरीर हो, तुमपर जब जब आक्रमण हुए, तुम्हें तुम्हारे पैरों ने बचाया जिसे तुम आज अपना हिस्सा नही मानते, तुम्हे लगता है तुम्हें पैरो की आवश्यकता ही नही, तुम्हे लगता है तुम्हे हांथों की आवश्यकता ही नही, चलो कल तुम अपने जरा पैर कटवा आओ, समझ मे आ जायेगा…आज तुम फिर वही करने की बात कर रहे हो जो तुम जन्म से करते आये हो, नोटा – यह केवल एक बटन नही यह तुम्हारा वास्तविक चरित्र है, यही तुम्हारी पहचान है कि तुम अपने आप मे नोटा हो…

इसके उसके किसी के नही तुम तो अपने आप मीचख्के भी नही तो फिर किससे अपेक्षा करते हो जो कोई तुम्हारे लिए आएगा, तुम्हे तो यह भी नही दिख रहा कि सामने भी तुम ही हो जो अपने आप को काट रहे हो, तुम जब कहते हो नोटा दबाएंगे तो तुम अपने आप के लिए ही नोटा दबाओगे, भाजपा कांग्रेस – ये वास्तव में हैं क्या,, केवल राजनीतिक पार्टियां, क्या इनमे कोई बाहर से आकर बसा है, क्या इनमे कोई मंगल ग्रह के प्राणी बसते हैं,, नहीं किन्तु तुम इतने आत्म तुष्टिकरण में जी रहे हो तुम्हे दिख ही नही रह की इन राजनीतिक पार्टियों में भी वास्तव में तुम ही हो…
चलो इस बार फिर नोटा दबाओ पर स्मरण रखना यह नोटा तुम्हे कोई सहायता नही करने वाला, तुम जहां हो वहीं रहोगे, कुछ क्षणिक आत्म सन्तुष्टि से प्रसन्न रहोगे किन्तु जो तुम्हारे उद्देश्य है की अपने आप को बचाओ अपनी संतानों को बचाओ- वह तबतक पूरा नही होगा जबतक तुम्हे अपनी वास्तविक काया का आभास नही होगा,, कैसे बचाओगे उस शरीर को जिसके पैर नहीं होंगे,, कैसे बचाओगे उस शरीर को जिसके हाँथ नही होंगे…यदि वास्तव में अपने आप को बचाना है और अपने बच्ची बच्चे को बचाना है तो सबसे पहले जिस पैर और हाँथ को काट रहे हो उसे सम्भालो…अपने आप से नोटा होने की छाप को पहले मिटाओ.. हिन्दू हो तो कम से कम हिन्दू की परिभाषा में समाओ तो सही,, फिर देखना किसी की हैसियत नही जो तुम्हे या तुम्हारी सन्तानो की तरफ कुदृष्टि डाले… सौभाग्य की बात है कि बहुत समय बाद भारत में आपके कुशल नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की केन्द्रीय सरकार विद्यमान है। आपके मेक इन इंडिया , स्वच्छता अभियान व नोट बंदी जैसी कई योजनाओं का हम ह्रदय से पूर्ण समर्थन करते हैं ।

One thought on “नोटा और उसका मर्म कब समझोगे

  1. लोग पूछ रहे हैं कि बीजेपी को वोट नहीं दोगे तो फिर किसे दोगे?
    नोटा दोगे तो कांग्रेस को फायदा होगा,
    यह बात सही है, यह प्रश्न जायज है, पर जवाब सुनलो….

    तुम BJP को वोट दोगे, वह जीतेगी, उसे पता चलेगा कि तुम्हारे पास कोई ऑप्शन नहीं, तुम मजबूर हो, तुम गिरे हुए हो, वह फिर तुम्हारे हितों के विरुद्ध काम करेगी, एससी एसटी एक्ट में हो सकता है देखते ही गोली मारने का आदेश दे दिया जाए, आरक्षण को हो सकता है बढ़ाकर 90 फ़ीसदी कर दिया जाए, क्योंकि फ़िर बीजेपी को तुम्हारी कोई परवाह रहेगी नहीं, क्योंकि तुमने साबित ही नहीं किया कि तुम्हारा अस्तित्व है।
    कांग्रेस और नोटा दबाने से हो सकता है कि बीजेपी सरकार में ना आ पाए या मिली जुली सरकार बने
    पर
    इससे उसे उसकी औकात पता चलेगी, उसे पता चलेगा कि अपने डेडीकेटेड वोटर्स के साथ धोखा करने का क्या अंजाम हुआ।
    बीजेपी को पता चलेगा कि तुम संगठित हो, तुम्हारा अस्तित्व है, तुम्हारी हैसियत है और देश में सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा।
    ना केवल बीजेपी बल्कि अन्य पार्टियां भी अगली बार कोई ऐसी नापाक जुर्रत करने से पहले,
    10 बार सूँघेंगी,
    20 बार चाटेंगी
    और
    50 बार सोचेंगी।
    ..
    सवाल यह नहीं है कि कौन सी पार्टी जीतेगी,
    सवाल यह है कि क्या तुम इस बात को सिद्ध कर पा रहे हो कि तुम हो, कि नहीं.

    सवाल यह है कि क्या तुम सिद्ध कर पा रहे हो कि तुम कीड़े मकोड़े नहीं, इंसान हो और तुम्हें अपने और अपने बच्चों की फिक्र है।
    जब तुम खुद अपनी फिक्र करोगे और अपनी फिक्र के लिए लड़ोगे तब कोई दूसरा तुम्हारी फिक्र करेगा।

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