जाकिर नाइक इस्लामिक कट्टरपन्थ का एक बहुचर्चित नाम है। हाल के दिनों में बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले के बाद यह नाम और भी अधिक चर्चा में आ रहा है। बांग्लादेश सरकार ने आतंकी हमले के पीछे जाकिर की सोच के पुख्ता प्रमाण प्राप्त होने के पश्चात उसके टी.वी. चैनल पीस को प्रतिबन्धित किया। जाकिर नाइक का सम्बन्ध मूलतः भारत से है। इसकी गतिविधियाँ जब तीव्रतर होने लगीं तो भारतीय खुफिया विभाग ने तत्कालीन यूपीए सरकार को इसकी जानकारी दी और उसे राष्ट्रहित के लिए एक खतरा बताया। किन्तु यूपीए सरकार ने जिस प्रकार इशरत जहाँ और जेएनयू के राष्ट्रविरोधी नारों का समर्थन किया उसी मानसिकता के अधीन खुफिया विभाग की रिपोर्ट को भी अनदेखा कर दिया। तत्कालीन सरकार ने यदि राष्ट्र का अहित करने वालों के प्रति कठोरता बरती होती तो शायद बांग्लादेश में जाकिर नाइक के विचारों से वहाँ के युवा प्रेरित नहीं हो पाते और एक नरसंहार रोका जा सकता था।
जाकिर नाइक जैसे लोग कहने के लिए इस्लाम के प्रचारक हैं। भारत देश में किसी भी धर्म का प्रचार निषिद्ध नहीं है किन्तु किसी अन्य धर्म के प्रति विष वमन करना, अन्य धर्मों को निकृष्ट सिद्ध करने का प्रयास करना तथा अन्य धर्म के अनुयायियों को काफिर की श्रेणी में पंक्तिबद्ध करके उनकी हत्या करने के लिए उकसाना शायद किसी भी राष्ट्र के संवैधानिक दायरे में नहीं आता है। जेहाद के नाम पर आईएसआईएस के कृत्य विश्व भर की निन्दा का विषय बन चुके हैं। फ्रांस एक के बाद आतंक का दूसरा आघात सहने के लिए विवश हुआ। इनके पीछे लिप्त युवकों को मात्र दिग्भ्रमित युवा कहकर अन्य अर्थों में उनका महिमामंडन करना किसी भी स्थिति में समीचीन नहीं होगा।
जाकिर नाइक जैसे लोग शब्दों के साथ खिलवाड़ करके इस्लाम के उग्र रूप को प्रस्तुत करते हैं। उन्हें उन सूफी सन्तों के इस्लाम में हीनता प्रतीत होती है जिसके द्वारा उन सन्तों ने समाज में मानवता के सन्देश को प्रखर किया था। ऐसे उग्र विचारों के व्यक्ति भारत के मुस्लिम युवाओं को ऐसे तिमिर-पथ की ओर उद्वेलित करने के लिए तत्पर हैं जिन्हें वर्तमान भाजपा सरकार राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कृतसंकल्प है। मैं अपने राष्ट्र के अपने युवा मुस्लिम मित्रों से आग्रह करता हूँ कि ऐसे व्यक्तियों का सामाजिक और सांस्कृतिक बहिष्कार करें और भारत की राष्ट्रीय अस्मिता तथा साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाये रखने में सभी भारतीयों का समवेत स्वर से सहयोग करें।
आज हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। हम इक्कीसवीं सदी का इतिहास लिखने के लिए तत्पर हैं। देश को एक कर्तव्यनिष्ठ, परिश्रमी और जागरूक नेतृत्व मिल चुका है। हम विकसित देशों की श्रेणी में सम्मिलित होने के लिए समस्त अवसंरचनाएँ निर्मित करने की दिशा में पर्याप्त सफलता प्राप्त कर चुके हैं। अतः आतंकवाद के किसी भी रूप का सदैव प्रबलता से प्रतिकार करें।
पिछली सरकारों की चुप्पी और राष्ट्र के प्रति उदासीनता के कारण वर्तमान सरकार को अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, पिछली गलतियों के उजागर होने पर सम्भावित दण्ड प्रावधानों से विचलित होकर तथ्यों का विकृत विश्लेषण भी किया जाता है। अनेक रहस्यों से पर्दा शनैः-शनैः उठता जा रहा है और एक-एक करके अपराधों का अनावरण हो रहा है। मुझे आशा ही नहीं विश्वास है कि हमारे देश के युवा इन तथ्यों पर रचनात्मक विचार करेंगे और इस प्रकार की मानसिकता का सर्वथा निषेध करेंगे।