मैंने अपने कुछ महीने पहले के ब्लॉग में इस बात का उल्लेख किया था कि, चूंकि जीएसटी सीधे जनहित से जुड़ा है, इसलिए कांग्रेस लगातार जीएसटी पर अड़चन पैदा कर रही है। लेकिन दुखद तो ये है कि कांग्रेस इस हद तक जनता के साथ खिलवाड़ करेगी, इसका अंदाजा न था। संसद का 25 अप्रैल से शुरू हुआ सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया और इस दौरान परोक्ष करों में महत्वपूर्ण सुधार वाला जीएसटी विधेयक पारित नहीं हो पाया, हालांकि सरकार के लगातार पहल से वित्त विधेयक तथा दिवाला संबंधी विधेयक सहित कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये।
इस बीते संसद सत्र के दौरान जहां लोकसभा ने 14 घंटे, वहीं राज्यसभा ने 10 घंटे अधिक काम किया। किन्तु दोनों सदनों में उत्तराखंड में राजनीतिक संकट, अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकाप्टर सौदे में कथित भ्रष्टाचार, जीएसपीसी की केजी बेसिन परियोजना को लेकर कैग की रिपोर्ट सहित विभिन्न मुद्दों पर हंगामा हुआ। हंगामे के कारण राज्यसभा में 19 घंटे काम बाधित रहा। वहीं कई सत्रों के बाद लोकसभा में पहली बार ऐसा हुआ कि हंगामे के कारण किसी भी दिन पूरे समय के लिए सदन की बैठक स्थगित नहीं की गयी, इसका भी श्रेय सरकार को ही जाता है। लेकिन परोक्ष करों में महत्वपूर्ण सुधारों के प्रावधानों वाले जीएसटी विधेयक के संसद के मौजूदा सत्र में पारित न होने पर प्रदेशों के हितों का प्रभावित होना, निस्संदेह चिंता की बात है। इसके पारित होने से राज्यों को सीधे लाभ पहुंचता।