भारत में हर साल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है जबकि सभी गाड़ियों में सुरक्षा के बेसिक फीचर्स होते हैं कुछ मॉडल में और कई एडवांस फीचर्स भी होते हैं ।सुरक्षा की यही मानक उन सभी देशों में होते हैं इसके बावजूद दुर्घटना के मामलों में भारत की स्थिति ज्यादा चिंताजनक है ।दुनिया के कुल वाहनों में 1 फ़ीसदी हिस्सेदारी के बावजूद 10फीसदी दुर्घटनाएं यही होती है। दुनिया के अन्य देशों में भारत में सबसे बड़ा संकट यातायात संबंधी कानून के अनुपालन का है। गाड़ियों में सेफ्टी फीचर्स कितने भी हो अगर सड़क पर चलने का तौर तरीका नहीं बदलेगा। यातायात के नियमों का पालन नहीं होगा और सड़कों की हालत नहीं सुधरेगी तो दुर्घटनाएं कम पर कम पर कर पाना संभव नहीं है।
देश में सबसे ज्यादा सड़क हादसे इसलिए होते हैं क्योंकि यहां यातायात नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत ने दिखा दिया कि सब कुछ गाड़ियों के सेफ्टी फीचर से नहीं हो सकता यदि नियमों का पालन करते हुए सड़क पर गाड़ियां चलाई जाए तो हादसा नहीं होंगे अगर सड़क हादसों को रोकना है तो सरकार को कुछ जरूरी सुधार करने होंगे ।
वर्तमान में जो यातायात नियम है वह काफी सख्त है लेकिन इतनी शक्ति से उसका पालन नहीं करवाया जा रहा है नियमों का सख्ती से पालन किया जाए तो हादस् नहीं होंगे ड्राइविंग पर सख्ती से लगाम लगाने की जरूरत है गाड़ियों के सेफ्टी फीचर्स बढ़ाते जाने से सिर्फ गाड़ी के अंदर बैठा व्यक्ति खुद को सुरक्षित महसूस कर सकता है ।सड़क पर चलने वाले दो पहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों की सुरक्षा का क्या होगा ।
कई चीजें हैं जो इस चीज के लिए जिम्मेदार है सिस्टम की खामी से बहुत लोगों को बिना टेस्ट गए ड्राइविंग लाइसेंस बन जाता है कोई ऐसे लोग जब सड़क पर वाहन चलाते हैं तो ना अपनी जान की परवाह करते हैं और ना ही सड़क पर चलने वाली अन्य वाहनों की टूटी जर्जर व खराब डिजाइन की सड़कें भी कुछ मामलों में हादसों के लिए जिम्मेदार होती है इसमें सुधार करके भी सड़क हादसों को रोका जा सकता है सड़कें अच्छी हो वाहन चालकों के इस्तेमाल के लिए और ट्रैफिक सिग्नल आज सही से काम करें तो यातायात नियमों का पालन करवाना भी सुविधाजनक होता है।
दरअसल हम किसी भी गाड़ी में होते हैं तो हमारा शरीर गाड़ी की दिशा में उसी गति से चल रहा होता है एक्सीडेंट या अचानक ब्रेक लगने की स्थिति में गाड़ी तो रुक जाती है लेकिन हमारा शरीर उसी गति से आगे की ओर जाता है जिससे हमें झटका लगता है उदाहरण के तौर पर यदि कोई 100 किमी प्रति घंटा की गति से कार चला रहा हो तो एक्सीडेंट की स्थिति में गाड़ी की गति तो अचानक बहुत कम हो जाती है लेकिन उसका सिर्फ उसी तेज गति से सामने वाले डैशबोर् या स्टेयरिंग पर टकराएगा। सीट बेल्ट को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि अचानक ब्रेक लगने की स्थिति में वह अपने शरीर को आगे टकराने से रोक ले । इसके बाद नंबर आता है एयर बाइक का एक रासायनिक प्रक्रिया अपनाई जाती है गाड़ी में लगे सेंसर की मदद से सिगल मिलते ही उसमें छोटा सा विस्फोट होता है और एयर बैग में नाइट्रोजन भर जाती है और सामने खुल जाता है यह सब कुछ मात्र 30 मिली सेकंड यानी 0.03 सेकंड में होता है एयरबैग खुलने से आपका सर बोर्ड या स्टेरिंग पर टकराने के बजाय उस एयर बैग पर टकराता है और आप गंभीर चोट से बच जाते हैं इसी तरह सीट बेल्ट और सिस्टम मिलकर सुरक्षा चक्र को पूरा करते हैं यदि सीट बेल्ट लगी हो और आप बहुत तेजी से टकराएंगे नहीं ,जानकारों का कहना है कि बिना सीट बेल्ट के भी हो सकता है यही कारण कई कंपनियों ने ऐसा सिस्टम बनाया है किसी सीट बेल्ट नहीं लगाने पर एयर बैग नहीं खुलता।