लैटरल एंट्री पर विवाद क्यों?

• लोक सेवा आयोग (UPSC) ने लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों की भर्ती के लिए एक अधिसूचना जारी की। इसी के बाद से इसे लेकर घमासान मच गया। इन वैकेंसी को कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर लेटरल एंट्री के जरिए भरा जाना है। इसपर राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक केंद्र सरकार पर निशान साध रहे हैं। राहुल गांधी का कहना है कि लेटरल एंट्री के जिरए भर्ती कर सरकार एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीनने का काम कर रही है।
• असल में देखा जाए तो लेटरल एंट्री का नाता सबसे पहले कांग्रेस से ही जुड़ता है।सबसे पहले जान लेते हैं कि लेटरल एंट्री क्या है? दरअसल, लेटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की केंद्र सरकार के मंत्रालयों में सीधी भर्ती की जाती है। इसके जरिए जॉइंट सेक्रेट्री, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री के पदों पर भर्तियां की जाती हैं।निजी क्षेत्र में काम करने वाले जिन लोगों की भर्ती अफसरशाही में लेटरल एंट्री के जरिए की जाती है उन्हें 15 साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए। इसमें शामिल होने के लिए 45 साल उम्र होनी चाहिए ,साथ ही किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट से ग्रेजुएशन तक की डिग्री होनी अनिवार्य है।
• नौकरशाही में लेटरल एंट्री औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान शुरू किया गया था। जिसमें 2018 में रिक्तियों के पहले सेट की घोषणा की गई थी। इसमें शामिल होने वालों के प्रदर्शन के आधार पर संभावित विस्तार के साथ तीन से पांच साल तक के अनुबंध पर नियुक्त किया जाता था। लिटरल एंट्री भले ही मोदी सरकार के कार्यकाल में शुरू की गई लेकिन असल में देखा जाए तो इसकी जड़ें कांग्रेस से जुड़ी हुई है।
• अश्विन वैष्णव ने बताया कि दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) यूपीए सरकार के दौरान साल 2005 में गठित किया गया था जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे। आयोग ने खास नॉलेज की जरूरत वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी।इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियां 1970 से कांग्रेस सरकारों के दौरान होती रही हैं।भारत पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री रहे डॉ मनमोहन सिंह साल 1971 में लेटरल एंट्री के जरिए विदेश व्यापार मंत्रालय में सलाहकार के रूप में सरकार में शामिल हुए थे। 2013 से 2016 तक RBI के गवर्नर रहे रघुराम राजन ने भी लेटरल एंट्री के जरिए मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया ।कांग्रेस सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर काम करने वाले बिमल जालान भी लेटरल एंट्री के जरिए आए थे। बाद में वो RBI के गवर्नर भी बने। इनके अलावा सैम पित्रौदा, कौशिक बसु, वी कृष्णमूर्ति और अरविंद विरमानी भी लेटरल एंट्री के जरिए सरकार में शामिल हो चुके हैं।

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