आतंक पर साथ आएं विश्व

sanjayहाल में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें पाकिस्तान के कुछ स्कूली बच्चे एक्ट करते ‘दुश्मन के बच्चों को पढ़ाना है’ की बात कर (गीता गा) रहे हैं। इससे इतना समझ तो जरूर आता है कि पड़ोसी मुल्क भी शांति चाहता है। वहां की आवाम भी सुकून से अपने परिवार-बच्चों की हिफ़ाज़त और तरक्की चाहती है। लेकिन पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद पर अगर सच में कोई ठोस कदम न उठे तो वहां की आवाम को तो अब इसके लिए आवाज़ उठानी ही चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान को आतंक का पनाहगार बनाए रखने का मतलब होगा किसी आग की भट्टी की बुनियाद पर इमारत को खड़ी रखना।

पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले की जांच में पाकिस्तान की तरफ से ढीली प्रतिक्रिया ने एक बार फिर पड़ोसी मुल्क की नीयत पर सवाल खड़ा किया है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के हालिया आश्वासन के बावजूद अब पाकिस्तान का कहना है कि सबूतों के अभाव में जांच में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, जबकि भारत की तरफ से कॉल रिकॉर्ड्स समेत कई अहम जानकारियां दी गई हैं, जिस आधार पर पाकिस्तान ठोस कार्रवाई कर सकता था।सवाल है कि हमले के बाद पाकिस्तान में हिरासत में लिए गए कई संदिग्धों में से अभी तक किसी को भी अदालत के समक्ष पेश क्यों नहीं किया गया ? सरकार ने अभी तक हिरासत में लिए गए संदिग्धों की संख्या का खुलासा क्यों नहीं किया जबकि जैश के 31 संदिग्धों के हिरासत में होने की खबर है ?

सवाल ये भी है कि दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ देने की दलील देने वाले पाकिस्तान आखिर अपने मुल्क की आतंकी घटनाओं से सबक भी तो नहीं लेता। याद कीजिए दिसंबर 2014, कुछ आतंकवादियों ने पेशावर स्थित आर्मी स्कूल पर हमला कर दिया था। इस हमले में 150 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे। उसके बाद नेशनल एक्शन प्लान भी बनाकर पाकिस्तान ने दुनिया को आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का हवाला दिया जरूर। लेकिन नतीजा क्या निकला? हाल ही में न्यूज एजेंसी एसोसिएशन प्रेस ऑफ पाकिस्तान(एपीपी) के मुताबिक पंजाब, सिंध और खैबर पख्तूनख्वा में 182 मदरसों में आतंकवाद को बढ़ावा देने की बात सामने आई। जैसे ही मीडिया में इस बात खुलासा हुआ, आनन-फानन में इन मदरसों को बंद किया गया।

पाकिस्तान के मठाधीशों को ये सोचना होगा कि पूरे विश्व में आतंकवाद से सबसे अधिक मौतें आपके मुल्क में होती हैं। केवल मदरसों में आतंक की शिक्षा देने के मामले और आतंकवाद को आर्थिक मदद रोकने की रणनीति के तहत स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने अब तक 126 अकाउंट से करीब 100 करोड़ रुपए जब्त किए हैं। ये बैंक अकाउंट बैन किए जा चुके आतंकवादी संगठनों से जुड़े हुए थे। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने भी करीब 251 मिलियन कैश बरामद किया है।सरकार ने 1,026 केस दर्ज भी किए हैं। करीब 73 दुकानों से 1500 किताबें और अन्य सामग्रियां जब्त की गई हैं, जो नफरत भरी बातों से भरी हुई थी। कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने नफरत भरे भाषणों को लेकर 2,337 केस दर्ज किए हैं और करीब 2,195 लोगों को गिरफ्तार किया है।

सवाल है कि आप (पाकिस्तान) भी इतने परेशान हैं तो क्यों नहीं देते आतंक के खात्मे के लिए साथ ? ये मत भूलिए कि हमारे दुश्मनों को आप पनाह देंगे तो एक दिन आपको ही डसेंगे, क्योंकि आतंक का कोई इमान और मुल्क नहीं होता।

एक और जरूरी बात कि आईएस की एक खबर ने पूरे विश्व के युवाओं को खबरदार किया है। आईएस के कुछ आतंकी मोसुल शहर में भीषण लड़ाई से डरकर भाग रहे थे। लेकिन उसने भागने की कोशिश कर रहे अपने ही आतंकियों को पकड़ लिया और सबके सामने उन्हें मौत के घाट उतार दिया। लड़ाई का मोर्चा छोड़कर भागने वाले इन आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था और शरिया अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा भी चलाया गया। लेकिन एक दिन की सुनवाई में ही शरिया अदालत ने इन लड़ाकों को धोखाधड़ी का दोषी करार देते हुए उनके कत्ल का फैसला सुना दिया। इसके बाद सार्वजनिक तौर पर इन सभी लड़ाकों का सिर काट दिया गया। कुछ महीने पहले खबरिया चैनलों पर देखा कि दुनिया के पढ़े-लिखे छिट-पुट युवा ऐसे संगठनों से प्रभावित हो रहे हैं, ऐसा सुनकर बहुत दुख हुआ था। ऐसे ख़ौफनाक संगठनों की सोच का विरोध हो। हम चाहे भारत से हों या दुनिया के किसी कोने से, आतंक के विरोध में हमें साथ लड़ना ही होगा, विश्व-कल्याण तभी संभव है।

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