अलगाववादी नेताओं को काबू करना जरूरी

इस्लाम में बुर्का का अनिवार्य बनाने वाले ओसामा बिन लादेन के अपने परिवार ने कभी ने कभी बुर्का नही पहना, इस्लाम की शरीयतों का पालन नही किया।वैसा ही अब हुर्रियत नेता कर रहें है।ओसामा बिन लादेन की तरह हुर्रियत के नेता भी चाहते है कि मुसलमान लोग शरीयत के अनुसार वस्त्र पहने और जिहाद के नाम पर खुद को मरने के लिये तैयार रखे लेकिन जब उनके अपने परिवार की बात आती है तो इस्लाम के मायने बदल जाते है। आज के दौर में हुरियत नेताओं का एक बडा सच यह भी है कि उनके परिवार के लोग कश्मीर से बाहर रहते है , जो विदेश में रहने की हैसियत रखते है वह विदेश में है और जो नही रखते उनके बच्चे कश्मीर से बाहर है ताकि उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पडे।पढे लिखे और अच्छे अत्याधुनिक वस्त्र पहने अच्छी शिक्षा ग्रहण कर अच्छा जीवन जिये,लेकिन दूसरे मुस्लिमों के बारे में उनकी धारणा एकदम उलट है।वह दूसरे के लिये मसीहा तो है लेकिन अपने बातों के उनके अपने घर में कुछ कीमत नही है।

भारत के बडे हुर्रियत नेताओं की बात करें तो अलगाववादी नेताओं के जो बच्चे अन्यत्र रहकर शानो शौकत की जिन्दगी बिता रहें है उनमें मीरवाइज उमर फारूक की पत्नी अमरीकी मूल की है जिसका नाम शीबा मसदी है,एक बेटी है जो मां के साथ रहती है, इस समय मां बेटी दोनों अमरीका में है।उनकी बहन राबिया फारूक अमरीका में डाक्टर है। इसी तरह अलगवाव वादी नेता मोहम्मद अशरफ सहराई है, उनका बेटा आबिद दुबई में कम्प्यूटर इंजीनियर है, और वहीं रहता है।दुरआन -ए- मिल्लत की अलगाववादी नेता फरीदा का बेटा रूमा मकबूल साउथ अफ्रीका में रहता है। यानि इनका परिवार अमरीका,साउथ अफ्रीका व दुबई में रहता है और वह कश्मीर के हितैशी बनकर उसे आजाद कराना चाहते है लेकिन अपने परिवार के किसी सदस्य को इस कश्मीर में नही रख सकते। इसका एक कारण यह भी है कि कश्मीर के मुसलमान भारत के मुसलमानों को मुसलमान नही मानते लेकिन यह जरूर चाहते है कि अगर बलि दी जाय तो यहां का ही मुसलमान हो ।

अब बात दूसरे अलगाववादी नेता गिलानी की करते है,गिलानी का भाई लंदन में रहता है।गिलानी का बडा बेटा नईम तथा बहू बजिया पाकिस्तान के रावलपिडी में डाक्टर है जो कि भारत विरोधी सारे काम में उनकी मद्द करते है और गिलानी व पाकिस्तान सरकार के बीच दलाल की भूमिका निभाते है।छोटा बेटा जहूर परिवार के साथ दिल्ली में रहता है ताकि दिल्ली की हवा का रूख क्या है वह अपने पिता को दे सके। पोता दिल्ली के एक प्राइवेट एयरलाइंस कंपनी में कार्यरत है और बेटी फरहत जेद्दा टीचर है यानि कुल मिलाकर गिलानी एक ऐसे नेता है जो अपने परिवार के साथ मिलकर किसी भी समय भारत को चोट दे सकते है इसका सबसे बडा सबूत यह है कि वह पाकिस्तान परस्त है और भारत में खुलेआम रह रहें है। इस पर भारत की सरकार को उनके खिलाफ सख्ती से कदम उठाने चाहिये। उनके पाकिस्तान के दौरे पर रोक लगानी चाहिये और पासपोर्ट जब्त कर लेना चाहिये।

यहां यह बात बता देना भी उचित होगा कि कश्मीर में अलगाववादी नेता सिर्फ कश्मीर को आजाद कराने की बात ही नही कर रहें है बल्कि कश्मीर के आस्तिव को बदलने की साजिश भी कर रहें है। कश्मीर में हिन्दूओं की संख्या को शून्य कर दिया गया है और जो मकान वहां उनके है वह जर्जर हो चले है। आज भी घाटी के बच्चों का पढाया जा रहा है कि पाकिस्तान हमारा मुल्क है। श्रीनगर को लोग शहरे-ए-खास बुलाते है और वहां स्थित हरिपर्वत को कोहमारन के नाम से प्रचलित किया जा रहा है। गोपद्र घाटी जिसपर शंकराचार्य ने तपस्या की थी उसका नाम सुलेमान टापू कर दिया गया है। घाटी में बहने वाली किशनगंज नदी को दरिया-ए – नीलाम कहा जाता है।केन्द्र सरकार को लगता है कि प्रदेश सरकार ठीक कर लेगी लेकिन वहां घाटी में जो पुलिस है वह इन्ही अलगाव वादी नेताओं की बात करती है । सीमा पर जो लोग लगे है वह घाटी का साथ न मिलने के कारण हमेशा आतंकियों के शिकार हो रहें है सही मायने में देखा जाय तो सीमा पर तैनात बीएसएफ दोनो तरफ से नुकसान उठा रहें है. सामने से आतंकी मार रहें है तो पीछे से घाटी वाले यदि सेना को बार्डर पर और बीएसएफ को घाटी में लगाया जाय तो हालात काबू में आ सकते है नही तो अलगाववादी नेता इस कश्मीर को नर्क बनाने से गुरेज नही करेगें।

अन्य अलगाव वादी नेताओं में गुलाम मोहम्मद सूमजी का बेटा जूगनू कश्मीर से दूर दिल्ली में पढाई कर रहा है, एयाज अकबर का बेटा सरवर याकूब पूणे में मैनेजमेंट की पढाई कर रहा है।यह सभी अलगाव वादी नेता किस उद्ेश्य के लिये अपने वारिसों को पढा रहें है यह आने वाला समय बतायेगा और उनके कारनामें भी सामने दिखेगें।हो सकता है कि भारत से मिली शिक्षा को प्राप्त करने के बाद यह उसका उपयोग किसी अन्य देश में बैठकर आईएसआईएस व अन्य आंतकी संगठनों से मिलकर भारत के खिलाफ करें।

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