चीन व पाकिस्तान अब बैकफुट पर

अब जब कि भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध की संभावनाओं पर बात चल रही है तो यह जरूरी हो जाता है कि उन बिन्दुओं पर बात कर ली जाय जिसे लेकर पाकिस्तान का साथ चीन देने की बात कर रहा है। हाल में ही चीन के सेना द्वारा रोके जाने के बाद भी भारत ने लद्दाख में अपना कार्य पूरा कर लिया और चीन देखता रह गया ऐसे में पाकिस्तान को सोचना चाहिये कि चीन उसका साथ कैसे देगा। अब जबकि सर्जिकल स्टाइक हो चुकी है और पाकिस्तान को इस बात का आभास हो गया है कि भारतीय सेना किसी भी समय पीओके को ले सकती है तो उसने वहां सेना लगानी शुरू कर दी और हथियारों को लाना शुरू कर दिया । यह इसलिये नही कि भारत से युद्ध लडना है बल्कि इसलिये कि भारत से पीओके को कैसे बचाना है, इस पर काम किया जाय।
हम पाकिस्तान के हालात की बात करते है तो पहले ईरान व अमेरिका पाकिस्तान के साथ थे और चीन उनका समर्थन इसलिये कर रहा था कि बंगाल की खाडी में यदि पाकिस्तान के साथ अमेरिका आ जायेगा तो उसके लिये दिक्कत भारत को ही नही चीन को भी होगी । लेकिन अब मामला सब बदल गया है और चीन जो कि भारत के लद्दाख के साथ अरूणाचल प्रदेश को भी अपना क्षेत्र बता रहा था वह खामोश हो गया है।इसका मुख्य कारण भारत के आयात से वहां की गाडी आगे बढना है।वह अपने आर्थिक स्थित के डावांडोल होने की सूरत देख रहा है इसलिये ब्रिक्स सम्मेलन में उसने अपना रूख बदला है जिसे लेकर पाकिस्तान काफी चिंतित है।जहां तक अमेरिका के भारत के साथ होने की बात कही जा रही है तो वह इसलिये है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि तमिलनाडू कि रामेश्वरम् में रामसेतु के नीचे इतना रेडियो ऐक्ठिव पडा है कि भारत को 150 साल तक बिजली के लिये किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नही पडेगी।अमेरिका को यह पदार्थ चाहिये जिसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने कार्यकाल में देने का वायदा कर आये थे।
पाकिस्तान पूर्व विदेश मंत्री हिना रब्बानी की माने तो पाकिस्तान इस समय एक ऐसे हालात से गुजर रहा है जो कि बहुत ही मुश्किलों भरा है।उसने अपने यहां से आतंकी के सफाये के लिये सबकुछ किया लेकिन जब ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान से पकडा गया और मुल्ला उमर के मारे जाने की बात कही गयी तो अमेरिका ने अपना रूख बदल लिया और भारत के साथ हो लिया। ईरान पाक से दूर चला गया क्योकि ओसाम व मुल्ला ही उसके भी दुश्मन थे । अब जबकि पाकिस्तान से ये दोनों खूखांर आतंकी पकडे गये तो वह किस तरह से अपने देश को साफ सुथरा कहा जाय । विश्व में गलत संदेश गया और अजहर मसूद व हाफिज सईद की मौजूदगी उसे स्थायित्व देने का काम कर रही है। अब समय आ गया है कि पाक को अगर अपने को बचाये रखना है तो अपने अंदर की गंदगी को साफ करना पडेगा।
पाकिस्तान व चीन की एक दिक्कत और है पिछली बार पाकिस्तान ने अमेरिका को बंगाल की खाडी में पहुंचाया था और अगर भारत ने वहीं काम किया तो अमेरिका रामेश्वरम् में भी पहुंच जायेगा जिसके कारण उसकी पहुच दोनों देशों तक आसान हो जायेगी।दूसरी बात यह कि अमेरिका के पास आने की स्थित में रूस का झुकाव पाकिस्तान की ओर होना चाहिये था लेकिन रूस के सैनिक भारत की फौज के साथ सैन्य अभ्यास कर रहें है। नेपाल में भी भारत ने संविधान बनवा दिया है, अब वहां घुसपैठ होना आसान नही होगा । बार्डर तक सडके बन रही है और अब सियाचिन में भारतीय फौजों को अपना सामान खुद नही ढोना पडेगा वाहन ले जायेगा।दूसरी सबसे बडी चिंता भारत के पास 500 परमाणु बम बनाने की सामग्री का है जिससे उसके होश उड गये है।
फिलहाल भारत के भीतर भी उथल पुथल कम नही है ,कुछ लोग है जो देश को गुमराह कर अपने लिये रोटी का इंतजाम कर रहें है।उन्हें आशंका है कि सरकार में प्रधानमंत्री मोदी रहे तो कुछ भी संभव है। युद्ध हुआ तो उनकी दुकान बंद हो जायेगी और वह बेरोजगार हो जायेगा । इसलिये अपने हिसाब से देश को गुमराह करने पर लगे है उस सेना पर आरोप लगा रहें है जिनके वजह से आज वह महफुज है आलीशान जिन्दगी बिता रहें है।उनपर भरोसा नही है तो अपनी सुरक्षा खुद क्यों नही कर लेते।

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