जीएसटी पर लोगों को गुमराह कर रहा है विपक्ष

जीएसटी पर अब लोगों को गुमराह करने का काम विपक्ष द्वारा जारी हो गया है और यह वह लोग कर रहे है जो कल तक इसका गुणगान करने में सबसे आगे थे। लगता है कि देश में सत्ताधारी दल का विरोध करना और अकर्मण्य बनकर अर्नगल बाते करना ही राजनैतिक दलों का मर्म बन गया है। जिससे पार निकल कर वह कुछ सोचना ही नही चाहते और चाहते है कि सभी चीजें वैसी ही रहें जैसे की 70 साल पहले से चली आ रही है। अब देश बदल रहा है तो उनको दिक्कत है । वास्तव में जैसे न्याय की अपराधिक धारा सभी के लिये समान है वैसे ही टैक्स को लेकर भी देश में समान कानून टैक्स नीति पर होनी चाहिये ।

अब सवाल यह उठता है कि वास्तव में ऐसा क्यों है अगर जीएसटी गलत था तो उसके जरिये वह कौन सा काम विपक्ष करना चाहते थे जिससे उसे लाभ होता और अब उस लाभ को भाजपा ले रही है।यदि सही है तो फिर ऐतराज क्यूँ है। दोनों ही मामलो में विपक्ष अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहा है। जिन राज्यों में गैर भाजपा की सरकार है वह इसे मानने से ऐतराज क्यों कर रहें है। इस पर बहस लंबी चल सकती है लेकिन अब यह बात तय हो चुकी है कि आने वाले समय में जो प्रदेश की सरकारें है वह मनमाना टैक्स वसूल नही कर सकेगी।

सही मायने में देखा जाय तो जीएसटी बहुत ही अच्छी चीज है और जिन लोगो ने अब तक इसका विरोध किया वह अपने स्वार्थ के कारण किया । यह किसी दल की बात नही है देश हित की बात है और लोगों को इसके लिये अपने भय से बाहर निकल कर इसका समर्थन करना चाहिये। हो सकता है कुछ चीजो के दाम जरूरत से ज्यादा महंगे हो जाय , राशन महंगा हो जाय , साग सब्जी महंगी हो जाय लेकिन इसे लेकर दिग्रभमित नही होना चाहिये।क्योंकि इससे एक वर्ग को नुकसान हो रहा है।वह वो लोग है जो अब तक गरीबों के हिस्सों का हक खाते रहें है।उदाहरण के तौर पर देखा जाय तो सरकार जो अनाज किसानों से लेती है उसे दूसरे राज्य में भेजती है तो उसपर जो जीएसटी लगेगा वह अलग होगा लेकिन जब प्राइवेट संस्था उसी अनाज को पैकिंग कर दूगूने दाम में बेचेगी तो उस पर जीएसटी की दर अलग होगी । कारण साफ है जो लोग अनाज का दाम बढाने के लिये जिम्मेदार है उन पर जीएसटी ज्यादा होना ही चाहिये ।गरीब और अमीर का फर्क समाज में जो दिख रहा है उसे रूप्ये व कागजों पर भी दिखना चाहिये।

जहां तक नाराजगी की बात है तो प्रदेश सरकारों को दिक्कत इस बात की है कि अब टैक्स से मिलने वाली राशि में धोखा  धडी नही हो पायेगी । जब एक तरह का टैक्स होगा तो विकास भी एक तरह का ही होगा। कोई राज्य ज्यादा विकसित या अल्पविकसित नही रह पायेगा। सभी को क्या टैक्स मिला इसका आंकडा होगा और देश की नीति का निर्धारण हो पायेगा। सभी को संतुष्ट नही करना पडेगा और सभी खुश भी रहेगें।

जीएसटी पर सरकार ने जो निर्णय लिया है वह काबिले गौर है और सबसे बडी बात यह है कि सरकार ने एक नियम बनाने का साहस दिखाया और बताया कि अब लूट टैक्स के नाम पर आगे नही हो पायेगी। देश इस कानून से एक नये राह पर चलेगा और अब तक कि भ्रान्तियां जो रही है वह दूर होगी।

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