जीएफआई की रिपोर्ट से जनता को सब समझ में आ गया

gfiसंजय जोशी

लंबे समय से काले धन पर अपनी करनी को छिपाते हुए उल्टे एनडीए सरकार पर ही ढिलाई का आरोप मढ़ने वाली कांग्रेस नेतृत्व के यूपीए शासन पर ग्लोबल फाइनॆंशियल इंटेग्रिटी (जीएफआई) ने जैसा खुलासा किया है, मुझे लगता है कि उसके बाद देश की जनता को सब आइने की तरह स्पष्ट हो गया होगा कि दागदार कौन है। जीएफआई ने दिसंबर 2015 की अपनी सालाना रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि 2004 और 2013 के बाच डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए भारत से 510 डॉलर यानि 34.68 लाख करोड़ रुपए का काला धन विदेश भेजा गया। चूंकि अमेरिका की यह एजेंसी जीएफआई इसलिए टतस्थ है क्योंकि इसने इस रिपोर्ट में दुनियाभर के ऐसे देशों को बेनकाब किया है जिसने कालेधन के नाम पर जनता के सामने दिखावा दिया, लेकिन अपनी सरकार की आढ़ में मौके का फायदा उठाते हुए खुद की पार्टी और अपने आकाओं को फायदा पहुंचाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004 से 2013 के बीच दुनियाभर में सात खरब डॉलर की राशि गैरकानूनी रूप से दूसरे देश भेजी गई। लेकिन सबसे दुखद यह है कि दूसरे ऐसे दागदार देशों की सूची में हमारा हिन्दुस्तान भी शामिल है और इसकी वजह केवल उस समय की तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार रही। यानि तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने कालेधन के इस मसले पर चीन, रूस, मैक्सिको के बाद भारत को चौथे स्थान पर ला खड़ा किया। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काले धन की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) को संप्रग के शासनकाल में विदेश भेजे गए काले धन की जांच का निर्देश दिया है।

निंदनीय इसलिए भी है क्योंकि आज जनता द्वारा सबक (कांग्रेस को सत्ता से बेदखल) सिखाए जाने के बाद राष्ट्रवाद की दुहाई देकर जनता के बीच झूठी भावना बटोरने वाले कांग्रेस के मठाधीशों का 55 वर्षों तक क्या यही राजनीति करने का सलीका और तरीका रहा कि जनता के पैसों को खसोटकर विदेश पहुंचाया जाता रहा ? जिस जनता ने भरोसा किया और आप पर देश की कमान सौंपते रहे, उसकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए घोटाले पर घोटाले करवाए गए, निर्यात करते समय वस्तुओं का मूल्य कम दर्शाकर देश में पूरा भुगतान न मंगवाकर विदेशों में कालाधन छुपाना… घोर शर्मसार करने वाली बात…।

एनडीए की सरकार बनते ही कालेधन पर जिस तरह बौखलाई कांग्रेस का झूठा और बड़बोला हमला तेज हुआ, जनता को गुमराह किया जाने लगा कि कहां है कालाधन, कहां है कालाधन… अब कांग्रेस को इस रिपोर्ट के बाद डर जरूर सताने लगा है कि अब उसकी पोल जनता के बीच खुल चुकी है और रही-सही कसर भी जल्द जांच पूरी होने के बाद हो जाएगी। जांच का नतीजा जो भी निकले लेकिन कांग्रेस नेतृत्व के शासन में हिन्दुस्तान की जिस प्रतिष्ठा पर दाग लगा, उसकी भरपाई मुश्किल होगी।

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