रेलवे में हो सकता है और सुधार


भारतीय रेल अपने सुधार को लेकर चर्चाओं में है । किसी तरह की किसी को शिकायत नही है , अक्सर देखा जाता था कि वेटिंग लिस्ट वाले बोगियों में चलकर आते थे लेकिन अब कन्फर्म न होने पर टिकट ही रद्द हो जा रहा है जिससे नयी दिक्कतें नही आ रही है। लोग आराम से यात्रा कर रहें है और अपने गंतव्य तक जा रहें है।इस हालात से करोना ने मुक्ति दिलाई , जब रेलवे बंद हुई तब इसकी सेवाओं में सुधार आया।पहले कुछ स्टेशनों पर रेल का स्टाप बनाया गया और कुछ ही गाडियां चलायी गयी। सभी डिब्बे रिजर्व रखे गये।जिसके कारण सिर्फ रिर्जवेशन वाले ही यात्रा कर सके। फिर जनरल डिब्बा लगाया गया और उसे भी इसी प्रणाली से चलाया गया । अब रेलगाडी के अंदर व बाहर दोनों तरफ सुघार आया। समय से गाडियां पहुचने लगी और लोग आराम से आने लगे।यह व्यवस्था अभी भी कायम है।

कुछ दिनों पहले की बात करें ,एकाध साल बीत रहा होगा , लोग टेन को बैलगाडी की तरह प्रयोग में लेते थे । पूरा परिवार सामान सहित सफर करता था। टिकट जांचते समय पैसे को प्राथमिकता दी जाती थी और रेलवे के कर्मचारी ही रेलवे को चूना लगाते थे।रिश्वत लेकर माल सवारी डिब्बे में ले जाते थे और स्टेशन आने से पहले उतार देेते थे। इससे डाइवर से लेकर सभी की सहमति होती थी और इसका खामियाजा जनता भूगतती थी।हमेशा गाडी लेट पहुचंती थी। इसके अलावा डिब्बों में तो यह हालत होती थी लोग शौचालयों में भी घुसकर बैठ जाते थे और लोगों को तमाम तरह का सामना करना पडता था। क्योंकि कुछ कहने पर वह लडाई करने को तैयार हो जाते है चाहे वह रिर्जवेशन की बोगी हो या जनरल सभी का बुरा हाल था। चोरी चमारी , लडाई झगडा भी होता था।जब भी रेल प्रशासन के मध्यस्था की बात आती थी तो अर्थ प्रधान होता था रिश्वत के आगे लोगों की परेशानी फीकी पड जाती थी। चाहे वीआईपी गाडी हो , एक्सप्रेस हो या सुपर फास्ट सभी का यही हाल था।

जिन लोगों को बेईमानी की आदत पड गयी है वह अपने आप में सुधार नही लाना चाहते। टिकट जांचने वाले सही नही है वह हमेशा कुछ कमाने के फिराक रहते है और स्टेशन वालों ने हद ही कर दी है कुछ काम नही करते । टिकट आनलाइन है , सिर्फ स्टेशन के गेट पर खडा होकर जांचना है कि टिकट है कि नही , वह भी नही करते। लोग आते है जाते है। किसी को कुछ नही पडा है।पकडे जाने पर टीटी सौ दो सौ रूपये लेकर छोड देता है और वह बिना टिकट गंतव्य तक पहुंच जाते है। क्योंकि इससे उनके जेब पर असर नही पडता जितना टीटी को देते है उतने से ज्यादा का टिकट पडता है और मगरमारी अलग इसलिये यही आसान है। ऐसे लोगों की संख्या कई सौ है जो लगभग टेन में सफर करते है।
जहां तक रेलवे के नुकसान की बात है तो रेल प्रशासन की एक और कमी है कि वह बेटिंग में टिकट देती है , इसे बंद होना चाहिये अगर अंतिम समय में सीटें रह जाती है तो स्टेशन पर बुकिंग कर ली जाय । तत्काल का कोटा बंद किया जाय जिसे तत्काल जाना है वह बस से यात्रा करे।परिवहन विभाग भी लाभ में आये। वाल्वो बसे सरकार चलाये जो टेन के समय पर गतंव्य तक पहुंचाये। यह दोनों व्यवस्था रेलवे को पीछे की ओर ले जा रही है। इसके अलावा सामान के वजन की चेकिंग की आवश्यक है क्योंकि अब आनलाइन टिकट है तो टिकट देने वालों के पास कोई काम नही है  उन्हें नया काम देना चाहिये। इसके लिये टिकट के काम में लगे कलर्कों को सामान की चेकिंग में लगाया जाय । वह हर यात्री के सामान का वजन स्टेशन पर ही कर लें।ताकि वही पकडा जा सके और पार्सल विभाग का एक आदमी रहे जो तुरंत पर्ची काटकर उसे सामान ले जाने की अनुमति प्रदान करे। किन्तु एैसा करने पर पार्सल विभाग तो फायदे में आ जायेगा लेकिन कर्मचारियों की कमाई पर रास्ता बंद हो जायेगा इसलिये रेलवे का फायदा हो इस बारे में कोई नही सोच रहा है बल्कि खुद के फायदे पर नजर रखी जा रही है।

जहां तक फायदे की बात है रेलवे अपना फायदा एक और तरीके से कर सकती है। जनरल डिब्बे में नीचे की तरफ चार लोगों को बैठने की सीट आरक्षण के तहत दी जाती है । दूसरी तरफ भी चार बैठते है खिडकी के बगल दो बैठते है । कुल मिलाकर एक बैरक में दस लोग बैठते है लेकिन नीचे बैठनेवाले चार लोगों की सीट के उपर जो सीट है वह खाली रहती है जिसमें आदमी सो कर आता है और लडाई झगडा का अंदेशा इसलिये बना होता है कि वह सीट किसी को आरक्षित नही होती । अगर उन सीटों पर भी बैठने की व्यवस्था नीचे की तरह उपर भी कर दें तो एक बैरक में आठ टिकटें बढ जायेगी । यानि एक डिब्बा जो 90 सीटों का है वह सीधे 170 सीटों का हो जायेगा। लोग खुद अपना सामान रखेगें तो सामान भी कम होगा। रेलवे के पार्सल विभाग का काम बढ जायेगा। आमदनी भी बढेगी।

इसके अलावा रेलवे प्रशासन ई टेन्डरिंग करे , हर डिब्बे में सामान बेंचने का अधिकार एक आदमी को दे दिया जाय जिसे एक आई कार्ड जारी किया जाय और वह ही डिब्बे में सामान बेचें कोई दूसरा नही । उसका आदमी भी नही , किसी और से बेंचवाने पर उसका टेन्डर कैंसिल कर दिया जाय। वह सिर्फ जरूरत की चीजें जैसे चाय ,बिस्कुट , नमकीन , पानी , छाछ , फल आदि बेंचे । किसी तरह की गर्म चीजें न बेंचे । टीटी निगरानी रखें । इससे दो फायदा होगा बोगी में विक्रेताओं की भीड नही रहेगी और एक ही आदमी बेंचेगा तो वह किसी को डिब्बे में घुसने नही देगा।हजारों लोगों को इससे रोजगार मिलेगा लोगों तक साफ सुथरी चीजें पहुंचेगी।

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