मोबाइल से काम आसान या खत्म : फायदा किसे

दिन ब दिन परिवार विखंडित हो रहा है ,मां बाप से बेटों की नही बनती , भाई बहन की नही पटती और अब पत्नी व बच्चों से नही बन रही है। रिश्तेदारों का मामला तो अपवाद सा बन गया है । न तो चौपालें रही और न ही किसी के लिये किसी के पास फुर्सत, आखिर ऐसा क्या हो गया जो इतना परिवर्तन है और दिन ब दिन स्थिती गिरती ही जा रही है। सरकार का ध्यान इस ओर नही है किन्तु ऐसा ही चलता रहा तो भारत को खंड खंड होने में समय नही लगेगा। अब तक चल रहा क्षेत्रवाद, परिवारवाद पर आकर थम जायेगा।
आखिर इस काम को करने में किसने मुख्य भूमिका निभायी तो सबसे पहले मोबाइल का नाम आता है। लोग जब किसी के पास जाते थे तो प्रत्यक्ष देखते थे अब झूठ बोलते है, सुनते है और तो और सही पता या बात भी नही बताते। रिश्ता है और मोबाइल ने बचाया है ऐसा लगता है लेकिन जब दरवाजे पर रिश्तेदार न हो और हवा में बात करे तो रिश्तेदारी कैसी।
परिवार के भीतर की बात करे तो देश दुनिया से जुडे रहने के लिये व्हाट्सअप है,  फेसबुक है , इंटरनेट है और अब तो जीओ ने लोगों को जिला रखा है। अब ऐसे मोड़ पर कई लोग आ गये है जो जियो के बिना नही रह सकते , उनकी हाल वैसे ही थी जैसे स्टार प्लस व जी टीवी की महिलायें उनके बगैर इस लिये नही रह सकती क्योंकि दांव पेज परिवार के आते है। मोबाइल लोगों को घर का नही बाहर का रास्ता दिखाता है। एंकातमय बनाता है और रिश्तों से दूर करता है । वह चाहे मां बाप हो, भाई बहन हो या रिश्तेदार सभी से वह अपना रिश्ता बनाता है और आपका दूर करता है क्येांकि वह उनको दिखता है आप नही ।
दूसरी सबसे बड़ी  बात यह कि वह अब पर्सनल प्रापर्टी है। कोई उसे छू नही सकता वह चाहे घर का आदमी हो या बाहर का , उसमें उसके लोगों के नंबर होते है.  कौन है,  कहां से है,  यह वह जानता है। लोग पासर्वर्ड डालकर रखते है ताकि उसकी उपयोगिता बरकरार रहे । अभिभावको को पता ही नही होता कि बच्चा आखिर मोबाइल से क्या काम कर रहा है और किन लोगों की संगत में है। अचानक पुलिस आने पर पता चलता है कि संगत ठीक नही थी लेकिन तब तक मान मर्यादा को पलीता लग चुका होता है।

जिस देश में मेनपावर होती है वहां मशीने नही,  लोग काम करते है और उन्हें समायोजित किया जाता है लेकिन कुछ मानसिक दिवालियेपन के शिकार लोगों ने टैक्टर ,जेसीबी और मोबाइल ,टेलीविजन आदि लाकर बेरोजगारी को बढा दिया। जिन हाथों को रोजगार मिलना था उन्हें आत्महत्या करने के लिये मजबूर कर दिया। पहले ही क्षेत्रवाद कम था जो परिवार को विखंडित कर दिया । इसे रोकना होगा और इसकी पहल सरकार को करना होगा।

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